उच्चतम न्यायालय ने पशुवध रोकने से इनकार किया
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मवेशियों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने या उनके वध और तस्करी से संरक्षण के लिये समान नीति तैयार करने के लिये दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई से इंकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने कहा कि वह राज्यों […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मवेशियों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने या उनके वध और तस्करी से संरक्षण के लिये समान नीति तैयार करने के लिये दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई से इंकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने कहा कि वह राज्यों को पशु वध पर रोक के लिये कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती.
दिल्ली निवासी विनीत सहाय की याचिका पर विचार से इंकार करते हुये पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही समय समय पर गोवंश पशुओं को गैर कानूनी तरीके से एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने से रोकने के उपाय करने के लिये कई आदेश दे चुका है.
इस जनहित याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सहाय के वकील ने कहा कि मवेशियों के वध और एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने के बारे में विभिन्न राज्यों के कानूनों में तारतम्यता नहीं है. उनका कहना था कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का कानून सख्त है जबकि केरल में इसकी इजाजत है जिस वजह से उनकी तस्करी होती है.
याचिका में मवेशियों, और उनके बछडों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने अथवा विकल्प के रुप में प्रतिवादियों को ऐसे पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाने और उनके संरक्षण के लिये एक समान नीति बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.