कश्‍मीरी भारत के साथ रहना चाहते हैं तो रहें, हमें कोई एतराज नहीं : अब्‍दुल बासित

नयी दिल्ली : भारत के दबाव के बाद पाकिस्तान का सुर बदल गया है. भारत में पाकिस्‍तान के उच्‍चायुक्‍त अब्‍दुल बासित ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्‍यू में कहा कि कश्‍मीरी अगर भारत के साथ रहना चाहते हैं तो रहें, जंग किसी भी समस्‍या का समाधान नहीं हो सकता है. उरी आतंकी हमले के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 26, 2016 12:11 PM

नयी दिल्ली : भारत के दबाव के बाद पाकिस्तान का सुर बदल गया है. भारत में पाकिस्‍तान के उच्‍चायुक्‍त अब्‍दुल बासित ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्‍यू में कहा कि कश्‍मीरी अगर भारत के साथ रहना चाहते हैं तो रहें, जंग किसी भी समस्‍या का समाधान नहीं हो सकता है. उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने वैश्विक स्‍तर पर सख्त रुख अपनाया है. यूएन महासभा में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने कश्‍मीर मुद्दा उठाकर अपनी किरकिरी करवाई. इसके बाद से पाकिस्‍तान बचाव की मुद्रा में नजर आ रहा है. आज भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों पहले हुए सिंधु जल समझौते पर फैसला लिया जाना है.

कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत यह समझौता तोड़ देगा और पाकिस्तान को पानी नहीं देगा. पाकिस्तान के उच्चायुक्त अपने रुख को नरम करते हुए अब बीच-बचाव करने पर उतर आए हैं. अब्दुल बासित ने कहा कि दोनों देशों के बीच जारी संवाद में युद्ध की संभावना हावी नहीं होनी चाहिए. जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने भविष्य का फैसला करने के लिए बेहतर मौका मिलना चाहिए. अगर उन्हें लगता है कि वो भारत के साथ ज्यादा खुश हैं तो वहीं रहें.

पाकिस्तान को इससे कोई भी आपत्ति नहीं है. इसके साथ ही बासित ने कहा पठानकोट हादसे के बाद हम सही दिशा में बढ़ रहे थे लेकिन कश्मीर में हुई 8 जुलाई की घटना हुई और उसके बाद जो हुआ वो पता है. हमारी बातचीत ने रफ्तार खो दी. पाकिस्तान हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन को भारत के खिलाफ जहर उगलने की इजाजत क्यों देता है? इस पर बासित ने कहा कि ऐसी आवाजें भारत में भी उठती हैं, लेकिन पाकिस्तान या भारत की पॉलिसी लोगों के आग उगलते भाषणों से नहीं तय होतीं.

गौरतलब है कि दो माह पूर्व कश्‍मीर में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से घाटी में स्थिति तनावपूर्ण है. पिछले दो महीनों से घाटी में कर्फ्यू लगा हुआ है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्‍मीर दौरे के बाद यह भी कहा था कि कश्‍मीर में हिंसा पाकिस्तान प्रायोजित है. दूसरी ओर पाकिस्‍तान लगातार अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर कश्‍मीर मुद्दे को उठाने का प्रयास करता नजर आया है.

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