अदालत ने औवैसी के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने कथित देशद्रोह और विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्व पैदा करने के आरोप में एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली एक आपराधिक शिकायत पर दिल्ली पुलिस को इस संबंध में कार्रवाई रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मुनीष […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 22, 2016 4:12 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने कथित देशद्रोह और विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्व पैदा करने के आरोप में एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली एक आपराधिक शिकायत पर दिल्ली पुलिस को इस संबंध में कार्रवाई रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मुनीष मार्कन ने करावल नगर पुलिस थाना के प्रभारी को यह निर्देश दिया है कि वह दिल्ली पुलिस आयुक्त (पूर्वोत्तर दिल्ली) के माध्यम से याचिका पर की गई कार्रवाई की एक विस्तृत रिपोर्ट सात मई को दाखिल करें.

‘स्वराज जनता पार्टी’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजेश चंद शुक्ला की ओर दायर शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 13 मार्च को ओवैसी ने स्वयं कहा था कि अगर उनसे चाकू की नोक पर भी ‘भारत माता की जय’ बोलने को कहा जाए तो वह नहीं बोलेंगे और उनका यह रुख दर्शाता है कि उन्हें देश से लगाव नहीं है और उनके विचारों में विश्वासघात और घृणा की भावना शामिल है.
शिकायतकर्ता की ओर से पेश हुए वकील राजेश कुमार ने दलील दी कि यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए (देशद्रोह) के तहत आता है, क्योंकि ओवैसी का यह बयान उनके कथित विश्वासघात को दिखाता है और यह भी दिखाता है कि उन्हें देश से कोई लगाव नहीं है. इस शिकायत में आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) और 153ए :धर्म, नस्ल इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों में वैमनस्व को बढावा देना: के तहत कथित अपराधों के लिए ओवैसी के खिलाफ पुलिस को एक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि हैदराबाद के सांसद की यह कार्रवाई दिखाती है कि वह भारत के लिए वह वफादार नहीं हैं और देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं और उनका यह बयान देशद्रोह आरोप की परिभाषा के अंतर्गत आता है. इसमें आरोप लगाया गया, ‘‘…यह सही है कि हमारे संविधान में ‘भारत माता की जय’ बोलेन की बाध्यता नहीं है लेकिन संविधान किसी को यह कहने की भी मंजूरी नहीं देता कि ‘कोई मेरे गर्दन पर छुरी रख दे तब भी मैं ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलूंगा’ . ” शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने इस संबंध में दिल्ली में शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण उसने अदालत का रुख किया.
पुणे स्थित एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगाने के लिए ओवैसी और एआईएमआईएम विधायक वारिस पठान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. जनहित याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह दोनों के भाषणों की जांच का आदेश दे जिनमें इस तरह की टिप्पणियों के जरिए कथित रुप से मातृभूमि का अनादर किया गया.

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