इशरत मामला : नरेंद्र मोदी और अमित शाह को फंसाने में घिरे चिदंबरम

नयी दिल्ली : इशरत जहां मुठभेड मामले में हलफनामों को लेकर भाजपा और कांग्रेस आपस में भिड़ गए हैं. मंगलवार को इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी था. भाजपा ने जहां कांग्रेस पर इस सनसनीखेज मुठभेड मामले में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया और जांच […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 2, 2016 8:41 AM

नयी दिल्ली : इशरत जहां मुठभेड मामले में हलफनामों को लेकर भाजपा और कांग्रेस आपस में भिड़ गए हैं. मंगलवार को इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी था. भाजपा ने जहां कांग्रेस पर इस सनसनीखेज मुठभेड मामले में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया और जांच की मांग की वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा पर राजनीतिक फायदे के लिए दुष्प्रचार का आरोप लगाया. कांग्रेस ने पूछा कि क्या मोदी सरकार दोषी पुलिसकर्मियों के अभियोजन को रोकने के लिए मामले में हस्तक्षेप कर रही है.

गृह मंत्रालय में अवर सचिव रहे आर वी एस मणि के एक साक्षात्कार से यह बहस शुरू हुई जिन्होंने दो हलफनामे दाखिल किये थे. इंटरव्यू में मणि ने आरोप लगाया कि उन्हें मामले में वरिष्ठ आईबी अधिकारियों को फंसाने के लिए प्रताडित किया गया था ताकि यह पेश किया जा सके कि इशरत और अन्य तीन लश्कर आतंकवादियों के साथ 2004 में अहमदाबाद में हुई मुठभेड फर्जी थी. मणि का कहना था कि दूसरा हलफनामा दाखिल करने के फैसले के पीछे चिदंबरम थे. उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन एसआईटी प्रमुख, जो एक सीबीआई अधिकारी हैं, उनके पीछे पडे थे और इशरत तथा अन्य आतंकवादियों पर खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गयी पेशेवर जानकारी की गुणवत्ता पर सवाल खडा करने का प्रयास किया गया. यह बात ऐसे समय में सामने आई जब दो पूर्व गृह सचिवों ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय में दूसरा हलफनामा तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम के कहने पर दाखिल किया गया था.

भाजपा ने मंगलवार शाम को तुरत फुरत मीडिया ब्रीफिंग की और दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा जिन्होंने आरोप लगाया कि चिदंबरम ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे अमित शाह को फंसाने के लिए कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों पर यह किया था. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भाजपा पर अमेरिकी-पाकिस्तानी आतंकवादी डेविड हेडली के बारे में झूठ प्रचारित करने का आरोप लगाया और कहा कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि सत्तारुढ पार्टी दुष्प्रचार कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘पूरी कांग्रेस का रख था कि दोष साबित होने के बाद भी किसी दोषी व्यक्ति की हत्या नहीं की जा सकती या कानून की उचित प्रक्रिया के बिना उसे मारा नहीं जा सकता जो कि गुजरात में मोदी के निरंकुश शासन के दौरान हुआ था.’

सिंघवी ने कहा कि भारत एक गौरवान्वित लोकतंत्र है जहां अफजल गुरु और अजमल कसाब ने उच्चतम न्यायालय के स्तर तक पूरे मुकदमे की कार्यवाही का सामना किया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने संसद पर हमले के दोषी या 26-11 के साजिशकर्ता को फर्जी मुठभेड में नहीं मार गिराया. उन्होंने कहा कि यह कहने का प्रयास किया जा रहा है कि मोदी सरकार के दौरान जांच के बाद मामला अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन अदालत गया और अदालत की जांच से साबित होता है कि यह फर्जी मुठभेड थी. सिंघवी ने कहा कि तत्कालीन राज्य सरकार ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी लेकिन निष्फल रही.

दूसरी तरफ प्रसाद ने कथित फर्जी मुठभेड में सीबीआई जांच पर सवाल खडा किया और कहा कि केंद्र सरकार की मशीनरी का दुरपयोग किया गया था. भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने पिल्लई और मणि के बयानों का उल्लेख किया और जांच की मांग की.

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