2015 : ”आप” ने रचा चुनावी इतिहास

नयी दिल्ली : अभूतपूर्व जनादेश के साथ सत्ता तक पहुंचने वाली आप में इस साल घमासान मचा रहा और इसमें अलगाव, निष्कासन और त्यागपत्रों का सिलसिला जारी रहा। साथ ही केंद्र और उप राज्यपाल के साथ आप सरकार का एक कटु सत्ता संघर्ष भी चलता रहा. नवंबर में अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगांठ मनाने वाली […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 24, 2015 12:51 PM

नयी दिल्ली : अभूतपूर्व जनादेश के साथ सत्ता तक पहुंचने वाली आप में इस साल घमासान मचा रहा और इसमें अलगाव, निष्कासन और त्यागपत्रों का सिलसिला जारी रहा। साथ ही केंद्र और उप राज्यपाल के साथ आप सरकार का एक कटु सत्ता संघर्ष भी चलता रहा. नवंबर में अपनी स्थापना की तीसरी वर्षगांठ मनाने वाली पार्टी इस साल में राजधानी में भाजपा विरोधी ताकत बनकर उभरने में सफल रही. पिछले साल लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करने और दिल्ली में एक भी सीट हासिल ना कर पाने वाली पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के चुनाव में 67 सीटों पर फतह हासिल करके अपने आलोचकों को अचंभित कर दिया.

महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू कश्मीर में भाजपा के चुनावी सफलता के बाद आप ने भगवा पार्टी के विजय रथ को रोक दिया. हालांकि तुरंत ही आप में पूर्व से चल रहे कुछ मतभेद उभर कर सामने आ गये. बाहरी दिल्ली में कापसहेडा में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केजरीवाल खेमे ने पार्टी के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव पर ‘पार्टी-विरोधी’ गतिविधियों में संलिप्त रहने को लेकर हमला किया. खेमे ने दोनों पर चुनाव के दौरान पार्टी को हराने के लिए काम करने का भी आरोप लगाया जिसका इन दोनों ने खंडन किया.

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