समाज में समझदारी पैदा करने में लेखकों की निर्णायक भूमिका : उपराष्ट्रपति

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी नेशनिवार को कहा कि भारत की साहित्यिक परंपराओं की अतुल्य विविधता इसके बहुलवादी मूल्यों को दर्शाती है. उन्होंने आपाधापी से भरी दुनिया में समझदारी पैदा करने में लेखकों एवं कथाकारों की निर्णायक भूमिका पर जोर दिया. हामिद अंसारी ने कहा कि एक सुविकसित साहित्यिक परंपरा हर सभ्यता की विशिष्टता […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 28, 2015 9:52 PM

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी नेशनिवार को कहा कि भारत की साहित्यिक परंपराओं की अतुल्य विविधता इसके बहुलवादी मूल्यों को दर्शाती है. उन्होंने आपाधापी से भरी दुनिया में समझदारी पैदा करने में लेखकों एवं कथाकारों की निर्णायक भूमिका पर जोर दिया. हामिद अंसारी ने कहा कि एक सुविकसित साहित्यिक परंपरा हर सभ्यता की विशिष्टता होती है. उन्होंने कहा कि कई भाषाई और सांस्कृतिक स्वरुपों में भारत की साहित्यिक विविधता अतुल्य है.

उपराष्ट्रपति ने कहा, यह हमारे उन बहुलवादी मूल्यों को दर्शाता है जिनमें आवेगाें और प्रभावों की व्यापक भिन्नता को जगह मिली है और उन्हें समृद्ध किया है. हामिदअंसारी ने कहा कि भारतीय समाज के तानेबाने में घुलीमिली एकता की भावना को कमजोर नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, यह दिखाता है कि कविताओं, कहानियों और कई किंवदंतियों में परंपरागत समय से लेकर आधुनिक और उत्तर आधुनिक काल तक यह चला आ रहा है.

अंसारी ने कहा कि लेखकों एवं कथाकारों को एक बहुत ही समृद्ध विरासत मिली है. उन्होंने कहा कि आपाधापी से भरी दुनिया में समझदारी पैदा करने में उनकी भूमिका निर्णायक बनी रहेगी. दि टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित ‘दिल्ली साहित्य उत्सव’ में उप-राष्ट्रपति ने ये बातें कही. उन्होंने कहा कि यह उत्सव आइवरी टॉवर और टाउन हॉल के बीच एक पुल की भूमिका निभाएगा.

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