आडवाणी का नेहरू पर हमला, कश्मीर में सेना नहीं भेजना चाहते थे नेहरू

नयी दिल्ली : सरदार पटेल को पूरी तरह सांप्रदायिक बताने का पंडित जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को कहा कि 1947 में पाकिस्तानी सेना के कश्मीर में घुसने के बावजूद देश के पहले प्रधानमंत्री वहां सेना भेजने को इच्छुक नहीं थे लेकिन पटेल के दबाव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 8, 2013 7:20 AM

नयी दिल्ली : सरदार पटेल को पूरी तरह सांप्रदायिक बताने का पंडित जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को कहा कि 1947 में पाकिस्तानी सेना के कश्मीर में घुसने के बावजूद देश के पहले प्रधानमंत्री वहां सेना भेजने को इच्छुक नहीं थे लेकिन पटेल के दबाव से ऐसा करना पड़ा.

आडवाणी ने अपने ब्लॉग के नये लेख में 1947 में कर्नल रहे सैम मानेकशॉ के एक इंटरव्यू के हवाले से कहा कि पाकिस्तान की मदद से कबाइलियों के श्रीनगर के समीप पंहुचने पर भारतीय सेना को वहां भेजने का निर्णय करना था हालांकि, नेहरू इसके लिए तैयार नहीं लग रहे थे और वह उस मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाना चाहते थे.

* रिपोर्ट से मतभेदों की पुष्टि : वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर झा द्वारा किये गये मानेकशॉ के इंटरव्यू के हवाले से आडवाणी ने कहा कि महाराजा हरि सिंह द्वारा विलय के समझौते पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद लार्ड माउंटबेटन ने कैबिनेट की बैठक बुलायी. इसमें नेहरू, पटेल और रक्षा मंत्री बलदेव सिंह आदि शामिल हुए. मानेकशॉ ने उसमें सैन्य स्थिति को पेश किया और सुझाव दिया कि भारतीय सेना को आगे बढ़ना चाहिए.

भाजपा नेता ने कहा, इसके बाद भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेना से मोरचा लेने के लिए श्रीनगर विमानों से भेजा गया और महाराजा हरि सिंह के मुसलिम सैनिकों ने पाकिस्तान की ओर पाला बदल लिया. आडवाणी ने कहा, मानेकशॉ और प्रेम शंकर झा से संबंधित यह रिपोर्ट नेहरू और पटेल के बीच मतभेदों की ठोस पुष्टि करती है.

Next Article

Exit mobile version