LIVE: हड़ताल से देश बेहाल, मुर्शिदाबाद में भिड़े TMC और CPM कार्यकर्ता, लाठीचार्ज

नयी दिल्ली/कोलकाता : श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का हड़ताल आज जारी है जिसका असर पूरे देश में व्यापक रुप से देखा जा रहा है. जहां देश की राजधानी में 90 हजार ऑटो सड़क से नदारद हैं वहीं पश्‍चिम बंगाल में इस हड़ताल ने हिंसक रुप ले लिया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 2, 2015 11:56 AM

नयी दिल्ली/कोलकाता : श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का हड़ताल आज जारी है जिसका असर पूरे देश में व्यापक रुप से देखा जा रहा है. जहां देश की राजधानी में 90 हजार ऑटो सड़क से नदारद हैं वहीं पश्‍चिम बंगाल में इस हड़ताल ने हिंसक रुप ले लिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्‍चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में चक्का जाम कराने उतरे सीपीआइ (एम) कार्यकर्ताओं और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गयी जिसमें कई लोगों को चोट आयी. इस घटना के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. कोलकाता की सड़क पर भी प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई.

पश्‍चिम बंगाल के 24 परगना जिले में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया है. सिलीगुड़ी में भी हड़ताल असरदार दिख रहा है. यहां कुछ बसे तो चल रही है लेकिन इसमें इक्का-दुक्का लोग ही दिख रहे हैं. यहां के बाज़ार भी बंद हैं. आपको बता दें कि विरोधी पार्टियों द्वारा आहुत बंद को विफल करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर संभव कदम उठाने का तैयार हैं.

मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय नबान्न भवन में विभिन्न बाजार समितियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी बाजार समितियों को बंद के दिन बाजार की दुकानें खुला रखने की अपील की. साथ ही उन्होंने दुकानदारों को आश्वासन देते हुए कहा कि अगर बंद के दिन दुकान खुला रखने के बाद उनकी दुकानों को कोई नुकसान पहुंचता है और राज्य सरकार द्वारा उसका मुआवजा दिया जायेगा.

श्रमिक संगठनों की हड़ताल का झारखंड में भी देखने को मिल रहा है. आम जनजीवन पर इस हड़ताल का उतना असर नहीं दिख रहा है लेकिन बैंकों, डाकघरों, बीमा कार्यालयों के अलावा खनन क्षेत्र के कामकाज प्रभावित हैं. हड़ताल का कोयलांचल और संथाल परगना में व्यापक असर देखने को मिल रहा है. यहां मजदूरों के द्वारा बीसीसीएल की लगभग सभी खदानों में उत्पादन ठप करा देने की खबर आ रही है. वहीं यहां की कंपनियों में आउटसोर्सिंग का काम भी पूरी तरह ठप करा दिया गया है. यहां बैंक और बीमा कार्यालयों में भी कोई काम नहीं हो रहा है. राजधानी रांची सहित राज्य के अन्य शहरों में सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर उतर गये. बताया जा रहा है कि धनबाद में माले समर्थकों ने पहाड़ीगोड़ा के पास स्वर्णरेखा एक्सप्रेस ट्रेन को अवरोधित कर दिया है. रांची स्थित कोल इंडिया की दो सहायक कंपनियों सीसीएल और सीएमपीडीआई में कामकाज ठप होने की खबर है.

इधर, इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल से देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में आवश्यक सेवाएं प्रभावित देखी जा रही है. दिल्ली में लगभग 90 हजार ऑटो सड़क से नदारद है. दिल्ली में ऑटो चालकों के बीच मारपीट की खबर आ र‍ही है. मारपीट में घायल ड्राइवर ने कहा कि मैं अस्पताल जा रहा था जब अन्य चालकों ने मेरे साथ मारपीट की और मेरे ऑटो को क्षतिग्रस्त किया.

बिहार के आरा में भी हड़ताल का असर दिख रहा है. राजधानी पटना में सड़क पर आम दिनों की तुलना में वाहन कम दिखायी दे रहे हैं. आरा में ट्रेनों को रोके जाने की भी खबर है.

मुंबई में भी हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला है. इस कारोबारी नगर में भी बैंक बंद है. ऑटो टैक्सी बंद होने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है. वहीं मध्‍यप्रदेश के भोपाल में ऑल इंडिया बैंक युनियन (AIBEA) के सदस्य भी सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.चेन्नई में AIDWA & DYFI का विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारियों ने यहां रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर दिया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली में डीटीसी बसों और फीडर में भारी भीड़ देखी जा रही है. पश्चिम विहार, पंजाबी बाग, संसद मार्ग पर भी ऑटो बहुत कम चल रहे हैं. इन यूनियनों ने दावा किया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है. इनमें बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं.

मंत्रियों के समूह के साथ बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया था. यूनियन नेताओें ने कहा कि हड़ताल से परिवहन, बिजली गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी. हालांकि बीएमएस ने दावा किया है कि कि इस आम हड़ताल से बिजली, तेल एवं गैस की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र बड़ी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में हो रही हड़ताल से हट गये हैं.

हड़ताल में कौन-कौन यूनियन शामिल

सीटू, एक्टू, एआइसीसीटीयू, एचएमएस, एआइसीटीयूसी, इंटक, यूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एलपीएफ

ये यूनियन हड़ताल में शामिल नहीं

12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया था. उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्ताविक श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है. बीएमएस बाद में इस हड़ताल से हट गयी. उसका कहना है कि सरकार ने कुछ प्रमुख मांगों को पूरा करने का जो आश्वासन दिया है, उसके लिए उसे समय दिया जाना चाहिए. नेशनल फ्रंट आॅफ इंडियन ट्रेड यूनियंस भी हड़ताल में शामिल नहीं होगी.

1990 से यह 16 वीं हड़ताल

पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के कार्यकाल के दौरान चार बार, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में पांच और मनमोहन सिंह सरकार में छह बार आम हड़ताल हो चुकी हैं.

सभी 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन बुधवार को हड़ताल पर रहेंगी. बीएमएस की कई राज्य इकाइयां भी हड़ताल में शामिल होंगी.
डीएल सचदेव, सचिव, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन

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