एनआईए ने मणिपुर में सैन्य काफिले पर हमला करने वाले 14 उग्रवादियों की पहचान की

नयी दिल्ली : एक नगा उग्रवादी संगठन के जिन 23 उग्रवादियों ने पिछले महीने मणिपुर में घातक हमले में 18 सैन्यकर्मियों को मार डाला था, उनमें से 14 की पहचान कर ली गयी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अबतक मिले सभी सबूतों को आपस में जोडते हुए आतंकवाद निरोधक जांच एजेंसी एनआईए ने कहा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 8, 2015 8:57 PM

नयी दिल्ली : एक नगा उग्रवादी संगठन के जिन 23 उग्रवादियों ने पिछले महीने मणिपुर में घातक हमले में 18 सैन्यकर्मियों को मार डाला था, उनमें से 14 की पहचान कर ली गयी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अबतक मिले सभी सबूतों को आपस में जोडते हुए आतंकवाद निरोधक जांच एजेंसी एनआईए ने कहा कि जिन उग्रवादियों ने यह हमला किया था, उनकी संख्या 23 थी, उनमें दो मणिपुर के चंदेल जिले में सेना की बदले की कार्रवाई में दो मारे गए थे.

मोलतुंग में एनएससीएन (खापलांग) के संदिग्ध उग्रवादियों ने लाथोड बंदूकों और ग्रेनेडों से सेना के ट्रकों पर हमला किया था जिसमें 18 सैनिक मारे गये थे और 15 अन्य घायल हुए थे. सूत्रों के अनुसार उग्रवादियों ने हमला करने के लिए तीन दल बनाये थे तथा ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए सडक किनारे विस्फोटकों से भरे कैन लगा दिये थे. हमले के वक्त कुछ विस्फोटक तो फटे लेकिन कुछ नहीं फटे. उन्हें फोरेंसिक परीक्षण के लिए भेजा गया है.

एनआइए अबतक एक ही उग्रवादी – एनएससीएन (के) के क्षेत्रीय कमांडर खुमलो अबी अनल (40) को गिरफ्तार कर पायी है. उस पर इस हमले की साजिश रचने में हिस्सा लेने का आरोप है. जांच के दौरान एनआइए ने एनएससीएन (के) आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों से पूछताछ की. इससे सैन्य काफिले पर हमले के कई आरोपियों की पहचान करने में भी मदद मिली.

इस हमले के बाद भारतीय सैन्य कमांडरों ने बदले की कार्रवाई करते हुये नगालैंड और मणिपुर में म्यामां की सीमा के समीप अलग-अलग स्थानों पर हमला बोला था और इस उग्रवादी संगठन को भारी नुकसान पहुंचाया था. एनएससीएन (के) यूनीफाइड लिबरेशन फ्रंट ऑफ साउथ ईस्ट एशिया के बैनर तले पूर्वोत्तर के कुछ अन्य उग्रवादी संगठनों के साथ मिलकर कई हमलों में शामिल रहा है. वह मार्च में भारत सरकार के साथ किये गये संघर्षविराम समझौते से अलग हो गया था.

एनआइए ने सैन्य काफिले पर उग्रवादी हमले के सिलसिले में भादसं, हथियार कानून और अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. एनआइए के अनुसार भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेडने जैसे इस हमले को नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) से जुडी सशस्त्र इकाइयों ने तथा पूर्वोत्तर एवं भारत म्यामां सीमा क्षेत्रों में सक्रिय सहयोगी संगठनों ने अंजाम दिया.

एनआइए ने कहा, ‘इस हमले की साजिश तथाकथित अध्यक्ष खापलांग पांगमी, कुघालू मोलातोनु और अलेजो चाकेसांग की अगुवाई में एनएससीएन (के) के शीर्ष नेतृत्व द्वारा रचे जाने का संदेह है. इस साजिश में एनएससीएन खापलांग तथा उसके सहयोगी संगठनों के वरिष्ठ सदस्य भी शामिल थे.’

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