अहमदाबाद के शहरी विकास मॉडल में गरीबों का कोई स्थान नहीं : अध्ययन

अहमदाबाद : गुजरात सरकार की अहमदाबाद के शहरी विकास मॉडल के विषय में एक रिपोर्ट सामने आयी है. रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद के शहरी विकास मॉडल से गरीब बाहर है.इस नये अध्ययन के अनुसार अहमदाबाद में लागू किये गये विकास मॉडल में समावेशी विकास के बजाए पूंजी केंद्रित परियोजनाओं वाले वैश्विक शहरों के निर्माण पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 8, 2015 1:29 PM

अहमदाबाद : गुजरात सरकार की अहमदाबाद के शहरी विकास मॉडल के विषय में एक रिपोर्ट सामने आयी है. रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद के शहरी विकास मॉडल से गरीब बाहर है.इस नये अध्ययन के अनुसार अहमदाबाद में लागू किये गये विकास मॉडल में समावेशी विकास के बजाए पूंजी केंद्रित परियोजनाओं वाले वैश्विक शहरों के निर्माण पर जोर दिया गया है, जिसमें गरीब लोगों के सरोकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है.

अध्ययन में कहा गया है, झुग्गियों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन के पक्ष में झुग्गियों को बेहतर करने की राह में शहरी गरीबों के बेदखल होने पर जोर बढ गया है. इसमें कहा गया है, साबरमती रीवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के कारण विस्थापित झुग्गी के बाशिंदों को फिर से बसाने के लिए जिन शहरों को चुना गया, वह शहरी केंद्रों, रोजगारों और परिवहन पहुंच से दूर है.

बहरहाल, ब्रिटेन स्थित गैर सरकारी संस्था ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ओडीआई) ने अन्य भारतीय शहरों की तुलना में शहरी विस्तार की दिशा में सक्रिय योजना के लिए शहर के स्थानीय निकायों की प्रशंसा की है. अध्ययन में कहा गया है, बढती शहरी आबादी के असर को कम करने के उद्देश्य से शहरी विस्तार की सक्रिय योजनाओं के जरिए अहमदाबाद स्मार्ट ग्रोथ की कई विशिष्टताओं को दिखाता है.
तीन अध्ययनकर्ताओं के एक समूह के अध्ययन टुवर्डस ए बेटर लाइफ ? कॉशनरी टेल ऑफ प्रोग्रेस इन अहमदाबाद के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने धन दिया है. रिपोर्ट में साबरमती रीवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोग्राम और बस रैपिड ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट में खामियों को उजागर किया गया है, जिनकी वजह से तीव्र विकास हासिल करने के प्रयास के दौरान में गरीब लोगों को नुकसान उठाना पडा है. इसमें कहा गया है, अहमदाबाद, और असल में शहरी भारत के बडे हिस्से के मामले में विकास की अवधारणा समग्र विकास से साबरमती रीवरफ्रंट प्रोजेक्ट जैसी पूंजी केन्द्रित परियोजनाओं वाले वैश्विक शहरों के निर्माण की तरफ जा रही है, जिससे गरीब लोगों की चिंताएं दरकिनार हो रही हैं.
अहमदाबाद अध्ययन विकास दो अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है, साबरमती नदी के पूर्वी तट को संवारने के लिए 24.2 करोड डॉलर की यह परियोजना नये रुख का प्रतीक है.
रिपोर्ट के मुताबिक, नदी में प्रदूषण घटा है. हालांकि, महंगी नयी जमीनें निजी डेवलपर को दे दी गयी और समुदाय की तरफ से कडे विरोध के बावजूद 10,000 झुग्गिवासियों को शहर के बाहरी इलाके में बसाया गया. अध्ययन के जरिए यह जानने की कोशिश हुई है कि लोगों के जनजीवन, पर्यावरण और राजनीतिक दखल के संदर्भ में अहमदाबाद में पिछले 20 साल में शहरीकरण के परिप्रेक्ष्य में और खासकर शहर के गरीब लोगों पर क्या असर पडा है.
सबसे महत्वपूर्ण है कि मूल इलाकों से दूरी के कारण रोजी-रोटी और सामाजिक मेलजोल पर नकारात्मक असर पड रहा है. इसमें दावा किया गया है, हालांकि, अहमदाबाद ने विभिन्न तरह की गरीब समर्थक नीतियों, स्थानीय सरकार तथा गरीब समुदायों के बीच सहयोग के कारण अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन हालिया समय में कारकों के बीच भरोसा टूटा है. इसमें कहा गया है, विकास के केंद्रीयकृत रुख अपनाने पर जोर देने, राज्य सरकार के ज्यादा नियंत्रण और वृहद कॉरपोरेट सेक्टर के जरिए आर्थिक विकास पर बढ़ते जोर के कारण भी हुआ है.

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