जनता परिवार के विलय पर लालू, नीतीश, मुलायम कल करेंगे बातचीत

नयी दिल्ली, पटना: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले जनता परिवार के विलय को अंतिम रुप दिये जाने को लेकर जारी मतभेदों के बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद कल यहां समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव से बातचीत करेंगे. जदयू के प्रवक्ता के सी त्यागी ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 21, 2015 10:36 PM
नयी दिल्ली, पटना: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले जनता परिवार के विलय को अंतिम रुप दिये जाने को लेकर जारी मतभेदों के बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद कल यहां समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव से बातचीत करेंगे.
जदयू के प्रवक्ता के सी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद कल होने वाली इस बैठक के लिए यहां पहुंच चुके हैं. इस बैठक के दौरान बातचीत बिहार चुनाव और विलय से जुडे मुद्दों पर केन्द्रित रहेगी. बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
यद्यपि नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार केन्द्रित दो दलों के विलय के इच्छुक हैं लेकिन न तो समाजवादी पार्टी की और न न ही राजद की इसमें रुचि दिख रही है.जनता परिवार के छह दलों, समाजवादी पार्टी, जद यू, जद (एस), राजद, इनेलो और समाजवादी जनता पार्टी ने 15 अप्रैल को अपने विलय की घोषणा की थी. लेकिन ऐसे संकेत हैं कि सपा और राजद इस पर दोबारा गौर करना चाहते हैं. इसके बाद नीतीश कुमार ने मुलायम सिंह से स्थिति स्पष्ट करने को कहा.
15 अप्रैल को मुलायम सिंह को नये दल का प्रमुख घोषित किया गया था. जनता परिवार के विलय के मार्ग में बाधाओं को दूर करने के प्रयास के तहत होने वाली बैठक से एक दिन पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने आज जद यू के लिए यह कहकर असहज स्थिति पैदा कर दी कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भाजपा के खिलाफ ‘‘व्यापक एकता’’ का हिस्सा होना चाहिए.
नीतीश कुमार के विरोधी समझे जाने वाले मांझी ने मुख्यमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा बनाया है और उनका झुकाव भाजपा की ओर बताया जाता है.लालू ने पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भाजपा के खिलाफ दलों की व्यापक एकता चाहते हैं जिसमें मांझी सहित हर कोई आगे आये.’’
दिल्ली में कल होने वाली जनता परिवार के घटक दलों की बैठक में शामिल होने के लिए रवाना होने से पहले लालू ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भाजपा के खिलाफ दलों की व्यापक एकता चाहते हैं जिसमें मांझी सहित हर कोई आगे आएगा.’’
राजद अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह विलय हो या गठबंधन, भाजपा के खिलाफ लडने के लिए दलों की व्यापक एकता की आवश्यकता है..मांझी और अन्य इसके लिए आगे आएंगे.’’
पिछले साल के लोकसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद खुद इस्तीफा देकर मांझी को उत्तराधिकारी बनाने वाले नीतीश ने लालू के इस बयान पर मीडिया से बात नहीं की.भाजपा के खिलाफ ‘‘व्यापक एकता’’ के लिए मांझी को दिए गए लालू के आमंत्रण से जद यू खुश नहीं है जो इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले विलय की औपचारिकताओं को पूरा करने को उत्सुक है.
जद यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मांझी को भाजपा से उनकी कथित निकटता के चलते इस परदिृश्य में लाने का ‘‘कोई सवाल ही नहीं है.’’ जद यू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, ‘‘मांझी जनता परिवार एकता प्रक्रिया की सूची में शामिल नहीं हैं. नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चुना था, लेकिन वह भाजपा के हाथों की कठपुतली बन गए.’’
पूर्व मंत्री एवं मांझी के करीबी बृषण पटेल ने हालांकि इस आमंत्रण के लिए लालू का धन्यवाद किया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी ऐसे किसी राजनीतिक मोर्चे का हिस्सा नहीं होगी जिसमें नीतीश कुमार हों.लालू प्रसाद, राबडी देवी, नीतीश कुमार और मांझी के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री रह चुके पटेल ने कहा, ‘‘लेकिन एक चीज पूरी तरह स्पष्ट है कि मांझी और उनका नवगठित हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा किसी ऐसे राजनीतिक गठबंधन का हिस्सा नहीं होगा जिसमें नीतीश कुमार हों.’’
यद्यपि जनता परिवार के छह दलों-समाजवादी पार्टी, जद यू, जद (एस), राजद, इनेलो और समाजवादी जनता पार्टी ने 15 अप्रैल को अपने विलय की घोषणा की थी, लेकिन इस बात के चलते अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या नीतीश और लालू के बिहार केंद्रित दल गठबंधन सहयोगियों के रुप में एक साथ आएंगे.
जनता परिवार के विलय को लेकर भ्रम तब और बढ गया जब सपा महासिचव राम गोपाल यादव ने हाल में कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विलय होने की ‘‘संभावना नहीं है.’’ उनके इस बयान को विलय पर सपा में असहज स्थिति के रुप में देखा गया.
सपा में कई नेताओं का मानना है कि पार्टी को इस विलय से कोई फायदा नहीं होगा, इससे बस बिहार में चुनाव में भाजपा एवं उसके सहयोगियों से टक्कर लेने में वहां के दो दलों जदयू और राजद का आधार मजबूत होगा. इस साल सितंबर अक्तूबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने की संभावना है.
नीतीश कुमार इस बात पर बल देते रहे हैं कि साझा चुनाव चिन्ह, झंडे आदि जैसे मुद्दों पर कोई तकनीकी बाधा नहीं है और हाल ही में उन्होंने मतभेदों को दूर करने के लिए एक बैठक बुलाने का सुझाव दिया था.तकनीकी बाधाओं का हवाला देते हुए लालू ने भी संकेत दिया था कि दोनों दल विलय कर नई राजनीतिक पार्टी के रुप में नहीं बल्कि गठबंधन सहयोगियों के रुप में चुनाव में उतरेंगे.
प्रसाद ने कहा था, ‘‘हम जनता परिवार के विलय के बहुत बडे पैरोकार हैं. कुछ गंभीर तकनीकी मुद्दे उभरे जिसे हम दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो हम मिलकर चुनाव लडने को तैयार हैं. ’’

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