Explainer : 27 साल बाद एमपी के ‘बाघ महल’ में छोड़े जाएंगे 3 टाइगर, राजस्थान तक सुनी जाएगी दहाड़

केंद्रीय पर्यटन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के एमएनपी में तीन बाघ छोड़े जाने के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच एक नया वन्यजीव गलियारा बनेगा. उन्होंने कहा कि तीन बाघों को 10 मार्च को बाड़ों में छोड़ा जाएगा, जहां 27 साल से बाघ की दहाड़ सुनाई नहीं दी है.

By KumarVishwat Sen | March 9, 2023 10:40 PM

ग्वालियर : भारत का राष्ट्रीय पशु कौन है? तो इसका साधारण सा जवाब ‘बाघ’ ही होगा. लेकिन, हमारे देश में संरक्षित होकर भी बाघों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. बावजूद इसके भारत सरकार की ओर से बाघों को संरक्षित करने के साथ ही उनकी संख्या बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. भारत के मध्य प्रांत के तौर पर प्रख्यात मध्य प्रदेश जंगल-जंगलातों के लिए प्रख्यात है और इस प्रदेश के शिवपुरी जिले में माधव नेशनल पार्क (बाघ महल) में शुक्रवार को तीन बाघ छोड़े जाएंगे. इस बात की जानकारी पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के सुपुत्र और वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार में पर्यटन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी.

मध्य प्रदेश-राजस्थान के बीच बनेगा बाघ गलियारा

केंद्रीय पर्यटन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को कहा कि मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के माधव राष्ट्रीय उद्यान (एमएनपी) में तीन बाघ छोड़े जाने के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच एक नया वन्यजीव गलियारा बनेगा. उन्होंने कहा कि तीन बाघों को 10 मार्च को एमएनपी में (बाड़ों) में छोड़ा जाएगा, जहां 27 साल से बाघ की दहाड़ सुनाई नहीं दी है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के साथ एमएनपी में बाघों की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए भोपाल के एक संस्थान के परिसर से पकड़े गए एक बाघ और दो बाघिनों को बाड़ें में छोड़ा जाएगा.

20 चीतों के घर के बगल में होगा बाघ महल

शिवपुरी की सीमा श्योपुर जिले से लगती है, जहां कुनो नेशनल पार्क है, जो नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों का नया घर है. इन्हीं चीतों के घर के बगल में ‘बाघ महल’ बनेगा. सिंधिया ने कहा कि तीन बाघों के फिर से आने से एमएनपी, कुनो नेशनल पार्क, पन्ना टाइगर रिजर्व (सभी मध्य प्रदेश में हैं) और राजस्थान में रणथंभौर टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाला एक वन्यजीव गलियारा बन जाएगा. ज्योतिरादित्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएनपी में चीतों को फिर से पेश करके केएनपी को दुनिया भर में लोकप्रिय बना दिया है.

कहां से लाए जाएंगे बाघ?

एमएनपी (बाघ महल) के निदेशक उत्तम शर्मा ने मीडिया को बताया कि अक्टूबर में मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) के परिसर से पकड़े गए एक बाघ को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लाया जाएगा, जबकि दो बाघिनों को पन्ना और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाया जाएगा. बाघ को भोपाल में पकड़ने के बाद अक्टूबर में सतपुड़ा में छोड़ा गया था. तीनों बाघों को कुछ समय के लिए अलग-अलग बाड़ों में रखने के बाद एमएनपी में जंगल में छोड़ दिया जाएगा, जो 375 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

कैसे लाए जाएंगे बाघ?

अधिकारियों ने कहा कि यह तीसरी बार है जब मध्य प्रदेश वन विभाग एक वन्यजीव अभयारण्य में बाघ को फिर से लाने जा रहा है. उन्होंने कहा कि एमएनपी में वर्तमान में कोई बाघ नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे पहले पन्ना बाघ अभयारण्य और सागर के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में सफलतापूर्वक बाघों को बसाया जा चुका है. वन अधिकारियों के अनुसार, एमएनपी में बाघों के लिए अच्छा शिकार उपलब्ध है. इसलिए बाघों को यहां फिर से बसाने के कार्यक्रम को केंद्र द्वारा मंजूरी दी गई है. उन्होंने कहा कि इन बाघों में रेडियो कॉलर लगाये जाएंगे.

Also Read: Bihar: बगहा के VTR क्षेत्र में भालू का शव मिलने से फैली सनसनी, तेंदुआ व बाघ की भी जान ले चुके हैं शिकारी
क्या होगी व्यवस्था

बाघों को जंगल में छोड़ने के बाद उन पर नजर रखने के लिए तीन दलों का गठन किया गया है. प्रधान वन संरक्षक (वन्यजीव) सुभरंजन सेन ने कहा कि एक जमाने में एमएनपी में कई बाघ हुआ करते थे, लेकिन 2010 के बाद से एमएनपी और उसके आसपास के इलाके में कोई बाघ नहीं देखा गया है. वन्यजीव विशेषज्ञों ने कहा कि एमएनपी में मुख्य तौर पर शिकार के कारण बाघ खत्म हो गए. रिपोर्ट के अनुसार, 2010-2012 में कुछ समय के लिए राजस्थान के बाघ एमएनपी के आसपास घूमते थे.

नोट : पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट पर प्रभात खबर की आंशिक संपादन

Next Article

Exit mobile version