जेटली ने कहा, कैग रिपोर्ट को सनसनीखेज ना बनाए

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) से कहा कि वह समाचारों की सुर्खियों में जगह पाने के लिए लिये अपने निष्कर्षों को सनसनीखेज ढंग से प्रस्तुत न करे. इससे पहले इसी तरह के विचार कांग्रेस पार्टी ने उस समय व्यक्ति किए थे जब कैग की 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 29, 2014 8:31 PM

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) से कहा कि वह समाचारों की सुर्खियों में जगह पाने के लिए लिये अपने निष्कर्षों को सनसनीखेज ढंग से प्रस्तुत न करे. इससे पहले इसी तरह के विचार कांग्रेस पार्टी ने उस समय व्यक्ति किए थे जब कैग की 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला आवंटन संबंधी रिपोर्ट आयी थीं. इन रपटों में विशाल काल्पनिक राजस्व हानि का आकलन लगाया गया था.

जेटली ने आज यहां महालेखाकारों के सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘लेखापरीक्षक को यह ध्यान में रखना चाहिए कि वह एक निर्णय की समीक्षा कर रहा है जो लिया जा चुका है. उसे देखना है कि क्या उस निर्णय में उचित प्रक्रिया अपनाई गई?’’
उन्होंने कहा, ‘‘उसे इसे सनसनीखेज बनाने की जरुरत नहीं है. उसे समाचारों की सुर्खियों में आने की जरुरत नहीं है.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि लेखापरीक्षक को एक सतर्क और सक्रिय परीक्षक तो होना चाहिये लेकिन सक्रियता और संयम हमेशा एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं.
कैग की 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन रिपोर्ट और कोयला खान आवंटन रिपोर्ट में क्रमश: 1.76 लाख करोड और 1.84 लाख करोड रपये के राजस्व नुकसान का अनुमान व्यक्त किया गया. केंद्रीय लेखापरीक्षक की इन रिपोर्ट से कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को काफी परेशानी हुई. इससे वह विपक्ष के निशाने पर आ गई.
जेटली ने कहा, ‘‘उसे (लेखापरीक्षक को) निर्णय प्रक्रिया की पूरी तरह से जांच परख करनी चाहिये. उसे इसमें किसी भी तरह के भाईभतीजावाद अथवा पक्षपात को पकड कर सामने लाना चाहिये …’’ कैग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन की शुरआत पर सोमवार को संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.वी. थॉमस ने भी कहा कि लेखापरीक्षक को अपनी जांच पडताल वित्तीय मामलों तक ही सीमित रखनी चाहिये और उसे किसी तरह के अनुमानित अथवा काल्पनिक आंकडे जारी नहीं करने चाहिये.
वित्त मंत्री ने कहा कि लेखापरीक्षक को गलत निर्णय और भ्रष्ट निर्णय में अंतर स्पष्ट करने की योग्यता होनी चाहिये. उन्होंने कहा, ‘‘यदि उसे पता चलता है कि निर्णय भ्रष्ट विचार से लिया गया है तो इस बारे में टिप्पणी करने में स्वविवेक के प्रयोग का स्तर पूरी तरह से अलग होना चाहिये.’’ उन्होंने कहा कि लेखापरीक्षक के सामने जब विभिन्न प्रकार के विचार रखे गए हों तो उसे अधिक उदार रख अपनाना चाहिये.

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