प्रेमी जोडों को एक करता है ”लव कमांडो”

नयी दिल्ली: जहां ‘लव जि‍हाद’ पूरे देश में चर्चा का वि‍षय बना हुआ है वहीं ‘लव कमांडो’ नामक एक संगठन अपने अनूठे कामों को लेकर चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल ‘लव कमांडो’ एक संगठन है जो प्‍यार के खिलाफ लोगों से मुकाबला करके प्रेमी जोडों को मिलाने का काम करता है . विवाह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 21, 2014 12:36 PM

नयी दिल्ली: जहां ‘लव जि‍हाद’ पूरे देश में चर्चा का वि‍षय बना हुआ है वहीं ‘लव कमांडो’ नामक एक संगठन अपने अनूठे कामों को लेकर चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल ‘लव कमांडो’ एक संगठन है जो प्‍यार के खिलाफ लोगों से मुकाबला करके प्रेमी जोडों को मिलाने का काम करता है .

विवाह की न्यूनतम कानूनी उम्र पूरी कर चुके प्रेमी युगलों को जोडने के प्रति प्रतिबद्ध संगठन ‘लव कमांडोज’ का दावा है कि इसने चार साल की छोटी सी अवधि में 30 हजार से ज्यादा जोडों को मिलाया है.लव कमांडोज के अध्यक्ष संजय सचदेव कहते हैं, ‘हम प्रेमियों को मिलाना चाहते हैं, चाहे उनकी जाति, समुदाय, धर्म या निवासस्थल कोई भी हो. एक ऐसा समाज होना चाहिए, जहां प्रेम हर चीज से उपर हो’.

मुख्य रुप से दिल्ली के पहाडगंज इलाके में अपना कार्यालय चलाने वाली इस स्वयंसेवी संस्था का दावा है कि वह जोडों को सुरक्षा उपलब्ध करवाती है और उन्हें उनके नाराज माता-पिता, परिवारों या पुलिस के रोष से बचाती है. यह संस्था इन जोडों को शोषण के खिलाफ लडने में मदद करती है और उन्हें शरण देती है ताकि वे स्वतंत्र होकर विवाह कर सकें.

सचदेव ने बताया कि ‘हमारा संगठन जुलाई 2010 में तब शुरु हुआ जब हमने दिल्ली में एक जोडे को आपस में जोडने में मदद की. इससे पहले लडकी के परिवार ने लडके पर झूठा आरोप लगाकर उसके खिलाफ पुलिस केस दर्ज करवा दिया था’.फंड की कमी के बावजूद प्रेम के लिए इस संगठन की लगातार लडाई जारी है. इसका एक शेल्टर होम समूह के अस्थायी कार्यालय के रुप में काम करता है.

समूह ज्यादा चर्चा में आने से बचता है क्‍योंकि उसका मानना है कि अत्यधिक चर्चा के चलते भागकर आए प्रेमी नजरों में आ सकते हैं.सचदेव दावा करते हैं, ‘जिन लोगों की हम मदद कर रहे हैं, उनमें से कई लोगों के खिलाफ पुलिस मामले दर्ज हैं और ऐसे कई समूह हैं, जो नहीं चाहते कि हम अपनी गतिविधियां जारी रखें’.

उन्होंने यह भी कहा कि कई बार स्थितियां ऐसी होती हैं, कि मजबूरन हमें अपने शेल्टर होम स्थानांतरित करने पडते हैं. इस संगठन के दो हेल्पलाइन नंबर हैं और देश के 12 शहरों में इन नंबरों पर लगातार लोगों के फोन आते रहते हैं. सही कॉल मिलने पर कमांडो तुरंत मदद करते हैं.दिल्ली और एनसीआर में इस समूह के सिर्फ सात ही स्थायी शेल्टर होम हैं लेकिन देश के जिन हिस्सों में जरुरत पडती है, वहां समूह अस्थायी शेल्टर होम बनाता है.

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