मनमोहन सिंह को कोलगेट और 2जी के बारे में पहले से पता था: विनोद राय

नयी दिल्‍ली : पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कटु आलोचना करते हुये आज कहा कि ईमानदारी केवल धन की नहीं होती बल्कि यह बौद्धिक और पेशेवरना स्तर पर भी होती है. पूर्व कैग ने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने कैग की ऑडिट रपटों में तत्कालीन प्रधानमंत्री […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 11, 2014 10:55 PM

नयी दिल्‍ली : पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कटु आलोचना करते हुये आज कहा कि ईमानदारी केवल धन की नहीं होती बल्कि यह बौद्धिक और पेशेवरना स्तर पर भी होती है. पूर्व कैग ने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने कैग की ऑडिट रपटों में तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह के नाम को बाहर रखने के लिये दबाव बनाया था. राय ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठबंधन की राजनीति की भी आलोचना की और कहा कि सिंह की ज्यादा रचि केवल सत्ता में बने रहने में थी.

उल्लेखनीय है कि राय के कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में हुये नुकसान के अनुमानों को लेकर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार काफी दबाव में आ गयी थी. राय ने आउटलुक पत्रिका से कहा, ‘ईमानदारी केवल वित्तीय मामलों में नहीं देखी जाती, यह बौद्धिक भी होती है और पेशेवराना ईमानदारी भी होती है. आपने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है, यह महत्वपूर्ण है.’ राय से जब पूछा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री की सोच के बारे में उनकी धारणा क्या है, क्योंकि कई लोग उन्हें बुजुर्ग राजनेता के तौर पर सम्मान देते हैं.

जवाब में राय ने कहा, ‘आप राष्ट्र को सरकार के अधीन और सरकार को राजनीतिक दलों के गठबंधन के अधीन नहीं रख सकते. उस समय कहा जा रहा था कि अच्छी राजनीति, अर्थव्यवस्था के लिये भी अच्छी होती है पर क्या अच्छी राजनीति का मतलब सत्ता में बने रहना होता है?’ राय देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के तौर पर अपने कार्यकाल पर एक पुस्तक लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने उनका फोन टैप किया और उनका मानना है कि 2जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार करने तथा कोयला खानों को बिना नीलामी के आवंटित करने के फैसले में मनमोहन सिंह की भी भागीदारी थी.

राय ने कहा, ‘2जी और कोयला मामले में सिंह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. 2जी मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने सभी पत्र उन्हें लिखे हैं और उन्होंने उन पत्रों का जवाब दिया. मैंने उन्हें जो पत्र लिखे मुझे किसी का जवाब नहीं मिला.’ राय ने कहा, ‘एक मौके पर जब मैं उनसे मिला, प्रधानमंत्री ने कहा मुझे उम्मीद है कि आप मुझसे किसी तरह के जवाब की उम्मीद नहीं करेंगे, जबकि वह राजा को दिन में दो-दो बार जवाब दे रहे थे. फिर किस तरह उन्हें उस फैसले के लिये जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता?’ राय ने 16 नवंबर 2010 की बातचीत को याद करते हुये कहा कि सिंह ने उनसे कहा कि 1.76 लाख करोड रुपये का 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के नुकसान का आंकडा गणना का सही तरीका नहीं है. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कहा, ‘श्रीमान ये वही तरीके हैं जो आपने हमें सिखाये हैं, यह बातचीत उस दिन विज्ञान भवन के मंच पर बैठे हुए हुई.

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