नटवर सिंह के बाद अब विनोद राय का किताब बम,मुश्किल में मनमोहन सिंह

नयी दिल्‍ली : भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय ने मनमोहन सिंह सरकार को लेकर एक सनसनीखेज खुलाया किया है. विनोद ने यूपीए सरकार पर आरोप लगाया है कि कोयला घोटाला और कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स घोटाले में कुछ लोगों को बचाने के नाम हटाने के लिए दबाव बनाया गया था. विनोद कुमार ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 24, 2014 12:52 PM

नयी दिल्‍ली : भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय ने मनमोहन सिंह सरकार को लेकर एक सनसनीखेज खुलाया किया है. विनोद ने यूपीए सरकार पर आरोप लगाया है कि कोयला घोटाला और कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स घोटाले में कुछ लोगों को बचाने के नाम हटाने के लिए दबाव बनाया गया था.

विनोद कुमार ने एक अंग्रेजी अखबार के सामने यह खुलासा किया है. विनोद कुमार के इस खुलासे के बाद एक बार फिर यूपीए सरकार कटघरे में आ गयी है. इधर विनोद ने बताया कि अगले महीने आने वाली उनकी किताब के इस बात का विस्‍तार से चर्चा किया गया है.

पिछली संप्रग सरकार को और खासतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को नई परेशानी में डालते हुए पूर्व नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने दावा किया है कि संप्रग के पदाधिकारियों ने कुछ नेताओं को इस काम पर लगाया था कि मैं कोलगेट और राष्ट्रमंडल खेल घोटालों से जुडी ऑडिट रिपोर्ट से कुछ नामों को हटा दूं.

उन्‍होंने यह दावा भी किया है कि उनके कैग बनने से पहले आईएएस में उनके सहयोगी रहे कुछ लोगों को भी संप्रग के पदाधिकारियों ने नाम हटाने के लिए मुझे मनाने का अनुरोध किया था. राय ने अपनी आने वाली किताब नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट में अपने विचार व्यक्त किये हैं जो अक्तूबर में जारी होगी. इस किताब में उसी तरह संप्रग सरकार को आडे हाथ लिया गया है जिस तरह पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारु, पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख की किताबों में खुलासे किये गये हैं.

पिछले साल पद छोड़ने वाले राय ने अपनी रिपोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में 1.76 लाख करोड़ रुपये और कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया था. राय ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से बातचीत में सिंह पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि वह इसका ब्योरा देंगे कि पद पर बने रहने की सोच के चलते सिंह ने किस तरह उन फैसलों पर सहमति जताई जिनसे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ.

राय ने कहा, सभी में प्रधानमंत्री सबसे उपर हैं. उन्हें आखिरी फैसला करना होता है जो उन्होंने कई बार किया और कई बार नहीं किया. केवल सत्ता में बने रहने के लिए सबकुछ न्योछावर नहीं किया जा सकता. गठबंधन राजनीति की मजबूरी की वेदी पर शासन को कुर्बान नहीं किया जा सकता. मैंने किताब में यही बात लिखी है. आज जब कुछ संवाददाता राय से मिलने उनके आवास पर पहुंचे तो उन्होंने मिलने और खबर पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने कहा, किताब में हर शब्द तथ्यात्मक रुप से सही है. इसका उद्देश्य किसी की छवि खराब करना नहीं है बल्कि भविष्य में शासन और व्यवस्था में सुधार करना है. किताब की भाषा इतनी सरल है कि इसे विद्यार्थियों समेत सभी वर्गों के लोग समझ सकते हैं. जब पूछा गया कि राय ये टिप्पणियां अब क्यों कर रहे हैं और पहले क्यों नहीं कीं तो सूत्रों ने कहा कि उस समय वह संवैधानिक पद पर थे और ऐसा करने से उस संस्था का स्तर कमजोर होता, जिसके वह प्रमुख थे.

सूत्रों ने कहा, अब वह इस बारे में बात करने के लिए स्वतंत्र हैं और किताब में उन्होंने हर उस व्यक्ति के बारे में नाम लेकर लिखा है, जिन्होंने ऑडिट करने के कैग के कार्यक्षेत्र की और संस्था की निंदा की थी. उन्होंने कहा कि किताब का शीर्षक एक जनहित याचिका पर दिये गये फैसले में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गयी इस टिप्पणी से प्रभावित है कि कैग केवल एक मुनीम नहीं है. राय ने यह खुलासा भी किया है कि संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) की बैठक में कांग्रेस के सदस्यों ने उन पर दबाव बनाया था और उनसे मुश्किल तथा प्रतिकूल सवाल पूछे थे.

Next Article

Exit mobile version