भारत-पाक वार्ता रद्द करने पर कांग्रेस के निशाने पर मोदी सरकार

नयी दिल्ली: पाकिस्तान के साथ पहले वार्ता के लिए राजी होने और बाद में उसे रद्द करने की सरकार की नीति की कांग्रेस ने आज आलोचना की जबकि सरकार और भाजपा ने इस फैसले का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि पडोसी देश अलगाववादियों के साथ चले और भारत सरकार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2014 3:15 PM

नयी दिल्ली: पाकिस्तान के साथ पहले वार्ता के लिए राजी होने और बाद में उसे रद्द करने की सरकार की नीति की कांग्रेस ने आज आलोचना की जबकि सरकार और भाजपा ने इस फैसले का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि पडोसी देश अलगाववादियों के साथ चले और भारत सरकार से वार्ता भी करे.

विपक्षी कांग्रेस ने सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले तो वह खुद ही वार्ता के लिए राजी हुई और आलोचना होने पर घबरा कर ‘निद्रा से जागी’.कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा, पाकिस्तान नीति को लेकर सरकार ने स्वयं ही अपने को कोने में धकेल लिया है. ‘‘पहले तो वह पाकिस्तान से वार्ता करने पर राजी हुई, वह भी इस्लामाबाद में. सरकार गहरी निद्रा में थी और जब इसका विरोध हुआ, तो वह उससे जागी.’’

कांग्रेस नेता ने कहा, अब अलगाववादी सरकार को चुनौती दे रहे हैं और पाकिस्तानी उच्चायुक्त भी सरकार को चुनौती देते हुए अलगाववादियों से मुलाकात जारी रखे हुए हैं. उन्होंने सवाल किया ‘‘सरकार का ऐसे में अगला कदम क्या होगा. पाकिस्तान के प्रति सरकार की रणनीति क्या है.’’

उधर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार के रुख का समर्थन करते हुए कहा, मामला एकदम साफ है. पाकिस्तान या तो भारत सरकार से वार्ता करे या वह अलगाववादियों से बात करे. पाकिस्तान ने पहले अलगाववादियों से बात करना चुना, जबकि उसे स्पष्ट बता दिया गया था कि अगर वह ऐसा करता है तो वार्ता को आगे बढाना मुश्किल होगा.

Next Article

Exit mobile version