जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी ने सेक्यूलर पार्टियों से की अपील, CAA से ज्यादा NPR का करें विरोध

मुंबई : देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने शनिवार को कहा कि धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) का संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) से भी ज्यादा पुरजोर ढंग से विरोध करना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2020 9:22 PM

मुंबई : देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने शनिवार को कहा कि धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) का संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) से भी ज्यादा पुरजोर ढंग से विरोध करना चाहिए. उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि सीएए किसी को दिक्कत नहीं होगी और महाराष्ट्र में एनपीआर लागू होगा.

मौलाना मदनी ने यहां जमीयत के महाधिवेशन से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘पिछली बार के एनपीआर की तरह इस बार भी लागू होता, तो किसी को परेशानी नहीं होती, लेकिन इस बार के एनपीआर के जरिये बहुत सारे अल्पसंख्यकों को संदिग्ध नागरिक की श्रेणी में डालने की प्रयास हो रहा है. उन्होंने दावा किया कि अगर एनपीआर को मौजूदा स्वरूप में लागू किया गया, तो देश के करोड़ों अल्पसंख्यकों और दलितों का जीवन बर्बाद हो जाएगा.

मदनी ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियों से हमारा यह कहना है कि उन्होंने जितना पुरजोर विरोध सीएए का किया था, उससे से भी ज्यादा विरोध एनपीआर का करें. उन्होंने यह भी कहा कि जहां भी आंदोलनों में हिन्दू-मुस्लिम एकता होगी और आंदोलन अहिंसक होगा, तो वहां जमीयत अपना समर्थन करेगी.

जमीयत प्रमुख ने कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध हिन्दू-मुसलमान का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह धर्मनिरपेक्ष संविधान को बचाने की लड़ाई है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत करनी चाहिए. मदनी ने कहा कि अपने महाधिवेशन में जमीयत देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर अपना नजरिया और आगे के कदमों की घोषणा करेगी.

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