बालिका दिवस पर बोले उपराष्ट्रपति- ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” हमारा संवैधानिक संकल्प

नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर देश की बेटियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ एक संवैधानिक संकल्प है. नायडू ने ट्वीट किया, आज राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर देश की बेटियों को उनके उज्जवल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 24, 2020 10:06 AM

नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर देश की बेटियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ एक संवैधानिक संकल्प है. नायडू ने ट्वीट किया, आज राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर देश की बेटियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं.

उन्होंने आह्वान किया, समाज ये सुनिश्चित करे कि हमारी बेटियों को हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने और निखारने के बराबर अवसर मिलें. समाज की हर वह कुरीति समाप्त हो जो उनकी प्रगति को बाधित करती रही है.

तो इसलिए मनाया जाता है बालिका दिवस

उल्लेखनीय है कि हर साल 24 जनवरी को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य देश में घटते लिंगानुपात की समस्या को दूर करना और बालिकाओं से जुड़ी विषमताओं को उजागर करना है. नायडू ने कहा, ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक सामाजिक दर्शन, सामाजिक अभियान है, हमारा संवैधानिक संकल्प है.

इंदिरा गांधी से बालिका दिवस का संबंध

बता दें कि राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने के लिए 24 जनवरी की तिथि का ही चयन इसलिए किया गया क्योंकि इसी दिन इंदिरा गांधी ने देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. हालांकि इसका उद्देश्य सफल होता हुआ नहीं दिखता. लड़कियों के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोत्तरी हो या कार्यक्षेत्र में विषमता, दोनों ही मामलों में उद्देश्य पिछड़ता हुआ दिखता है.

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