देश के मौजूदा हालात से नाखुश उर्दू लेखक मुज्तबा हुसैन लौटायेंगे पद्म श्री

हैदराबाद : नागरिकता संशोधन अधिनियम पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच उर्दू लेखक मुज्तबा हुसैन ने अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है और कहा कि वह देश के मौजूदा हालात से खुश नहीं हैं. हुसैन ने आरोप लगाया कि आपराधिक गतिविधियां दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं और लोकतंत्र खतरे में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 18, 2019 5:42 PM

हैदराबाद : नागरिकता संशोधन अधिनियम पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच उर्दू लेखक मुज्तबा हुसैन ने अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है और कहा कि वह देश के मौजूदा हालात से खुश नहीं हैं.

हुसैन ने आरोप लगाया कि आपराधिक गतिविधियां दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं और लोकतंत्र खतरे में है. उन्होंने बुधवार को कहा, गांधीजी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और डॉ भीमराम आंबेडकर ने जो लोकतांत्रिक तानाबाना बुना था, उसे तोड़ा जा रहा है. हुसैन ने कहा कि कई लोगों की आवाज दबायी जा रही है, कई को मारा जा रहा है और गरीब लोग हंसने की स्थिति में नहीं हैं. हुसैन को 2007 में उर्दू साहित्य में योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा गया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह देश के इन हालात के लिए भाजपा को जिम्मेदार नहीं ठहरायेंगे. राजनीति में स्तर ही गिर गया है.

87 वर्षीय लेखक ने कहा, पहले नेता राजनेता होते थे. अब ऐसा नहीं है. पुरस्कार लौटाने की वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं आज के हालात से खुश नहीं हूं. उन्होंने कहा, नागरिक के तौर पर मैं देश में खुश नहीं हूं. भीड़ लोगों की हत्या कर रही है, बलात्कार हो रहे हैं, आपराधिक गतिविधियां हर रोज बढ़ रही हैं.

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