महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को लेकर एकमत नहीं कानून के जानकार, जानिये किसने क्या कहा…?

मुंबई : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को लेकर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. पिछले महीने हुए चुनाव के बाद सरकार गठन को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच मंगलवार को कोश्यारी की केंद्र को भेजी रिपोर्ट और केंद्रीय कैबिनेट की अनुशंसा पर राज्य […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 12, 2019 8:57 PM

मुंबई : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को लेकर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. पिछले महीने हुए चुनाव के बाद सरकार गठन को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच मंगलवार को कोश्यारी की केंद्र को भेजी रिपोर्ट और केंद्रीय कैबिनेट की अनुशंसा पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. संवैधानिक विशेषज्ञ उल्हास बापट ने राज्यपाल के इस फैसले को संभावित असंवैधानिक करार दिया.

उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रपति शासन को असंवैधानिक करार दिया जा सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भाजपा को दो दिन का समय दिया (सरकार बनाने की इच्छा का संकेत देने के लिए), लेकिन उन्होंने दो अन्य दलों को केवल 24 घंटे का वक्त दिया. यह पक्षपाती रूख प्रतीत होता है.

वहीं, वरिष्ठ वकील और महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अने ने कहा कि राज्यपाल को यथोचित रूप से संतुष्ट होने के बाद राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करनी चाहिए थी कि कोई भी पार्टी स्थिर सरकार नहीं बना सकती है. अने ने कहा कि 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद ही सभी राजनीतिक दलों के पास बहुमत साबित करने के लिए साथ मिलकर संख्या बल जुटाने का मौका था. अने ने कहा कि यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल द्वारा बुलाये जाने से पहले पार्टियां सरकार बनाने को लेकर गंभीर नहीं थीं.

बापट ने राष्ट्रपति शासन को आपातकाल के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली ‘दवा’ करार दिया, जब कोई भी विकल्प नहीं बचा हो. उन्होंने कहा कि राज्य में चार बड़े राजनीतिक दल हैं, लेकिन राज्यपाल ने उनमें से केवल तीन को आमंत्रित किया (कांग्रेस को छोड़ दिया गया) और राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी. मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में अगर राज्यपाल की अनुशंसा को चुनौती दी जाती है, तो यह बड़ा तर्क होगा. बापट ने कहा कि राज्यपाल को शिवसेना और एनसीपी को दो दिनों का समय देना चाहिए था, जैसा कि भाजपा को दिया गया. बहरहाल, अने ने कहा कि राज्यपाल जब यथोचित रूप से संतुष्ट हो जाएं कि कोई भी दल स्थिर और टिकाऊ सरकार नहीं बना सकते, तो वह राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते हैं.

वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने कहा कि राष्ट्रपति शासन सामान्य रूप से छह महीने तक रहता है. साठे ने कहा कि केवल विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन का विस्तार किया जाता है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को महाराष्ट्र में अनुच्छेद 356 (1) के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने की घोषणा पर हस्ताक्षर किये और विधानसभा को निलंबित अवस्था में रख दिया गया.

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