महाराष्‍ट्र में सीएम को लेकर खींचतान जारी, शिवसेना ने सरकार पर कसा तंज- ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई?”

मुंबई : महाराष्‍ट्र में सरकार कौन बनाएगा इसको लेकर सबकी निगाह दो पार्टियों पर टिकी हुई है, भाजपा और शिवसेना…दोनों ही पार्टियों ने हालांकि गंठबंधन धर्म का पालन करते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोका था लेकिन इसमें शिवसेना किंगमेकर बनकर सामने आयी और उसके तेवर सख्‍त हैं. सोमवार को दोनों ही पार्टियों के नेताओं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 28, 2019 1:20 PM

मुंबई : महाराष्‍ट्र में सरकार कौन बनाएगा इसको लेकर सबकी निगाह दो पार्टियों पर टिकी हुई है, भाजपा और शिवसेना…दोनों ही पार्टियों ने हालांकि गंठबंधन धर्म का पालन करते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोका था लेकिन इसमें शिवसेना किंगमेकर बनकर सामने आयी और उसके तेवर सख्‍त हैं. सोमवार को दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की मुलाकात की. भाजपा की ओर से सीएम देवेंद्र फडनवीस राजभवन पहुंचे जबकि शिवसेना ने दिवाकर रावते को राज्यपाल से मिलने भेजा.

आपको बता दें कि भाजपा को 2014 की तुलना में इस चुनाव में 17 सीटों का नुकसान हुआ है और उसकी सीटों की संख्या 122 (वर्ष 2014) से घट कर 105 पर आ गयी है. वहीं शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 में 63 की तुलना में घट कर 56 पर आ गयी हैं. इधर, ‘शोले’ फिल्म में रहीम चाचा के डायलॉग ‘…..इतना सन्नाटा क्यों है भाई?’ का इस्तेमाल करते हुए महाराष्ट्र में भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने देश में आर्थिक सुस्ती को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘‘…..इतना सन्नाटा क्यों है भाई????’ इस डायलॉग के माध्यम से पार्टी ने देश और महाराष्ट्र में छायी आर्थिक सुस्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है.

‘शोले’ फिल्म में यह डायलॉग रहीम चाचा (एके हंगल) का है जब गब्बर सिंह (अमजद खान) बाहर नौकरी के लिए जा रहे उनके बेटे की हत्या कर उसकी लाश एक घोड़े पर रखकर गांव में भेजता है. उस दौरान सभी गांव वाले एकदम चुप हैं और दृष्टिबाधित खान चाचा सबसे सवाल करते हैं ‘…..इतना सन्नाटा क्यों है भाई??’ शिवसेना ने इस डायलॉग के माध्यम से देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाजारों से गायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और गलत तरीके से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने को जिम्मेदार बताया है.

उसने सामना में लिखा है कि सुस्ती के डर से बाजारों की रौनक चली गयी है और बिक्री 30 से 40 प्रतिशत की कमी आयी है. उद्योगों की हालत खराब है और विनिर्माण इकाइयां बंद हो रही हैं, इससे लोगों की नौकरियां जा रही हैं.’ मराठी ‘सामना’ ने लिखा है कि कई बैंकों की हालत खराब है, वे वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं और लोगों के पास खर्च करने को पैसा नहीं है.‘सामना’ ने लिखा है, ‘‘दूसरी ओर सरकार भी भारतीय रिजर्व बैंक से धन निकालने को मजबूर हुई है. दीवाली पर बाजारों में सन्नाटा छाया है, लेकिन विदेशी कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के माध्यम से देश के पैसे से अपनी तिजोरियां भर रही हैं.’

संपादकीय में लिखा है, बेवक्त हुई बारिश के कारण किसानों की तैयार फसल खराब हो गयी जिससे उनकी माली हालत खराब है. ‘‘लेकिन बदकिस्मती है कि कोई भी किसानों को इससे बाहर निकालने की नहीं सोच रहा है.’ संपादकीय में दावा किया है गया कि यहां तक कि दिवाली से ऐन पहले हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भी शोर कम और ‘सन्नाटा’ ज्यादा था.

Next Article

Exit mobile version