Article 370 : सुप्रीम कोर्ट ने आजाद को सशर्त जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति दी, CJI भी कर सकते हैं दौरा

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अनुच्छेद 370 (Article 370) की धाराओं को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) सरकार को नोटिस दिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को जम्मू-कश्मीर के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 16, 2019 12:41 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अनुच्छेद 370 (Article 370) की धाराओं को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) सरकार को नोटिस दिया. साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों का दौरा करने की सशर्त अनुमति दे दी. इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 सितंबर को होगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Chief Justice Ranjan Gogoi) ने यह भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी, तो हालात का जायजा लेने के लिए वह स्वयं जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे.

अनुच्छेद 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग और जम्मू जाने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने साथ ही शर्त जोड़ दी कि इस दौरान वह प्रदेश के किसी भी हिस्से में न तो सार्वजनिक रूप से कोई भाषण देंगे, न ही रैली करेंगे. सुनवाई करने वाली पीठ में चीफ जस्टिस के साथ जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल थे.

शीर्ष कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र और जम्मू-कश्मीर की सरकार को प्रदेश में जनजीवन सामान्य बनाने के भी निर्देश दिये. कहा कि दोनों सरकारें सुनिश्चित करें कि जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द सामान्य जनजीवन बहाल हो. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साथ ही कहा कि यदि जरूरत महसूस हुई, तो वह खुद जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी थीं. इन याचिकाओं में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की वैधता को चुनौती दी गयी थी. विभिन्न प्रतिबंधों का भी याचिका में विरोध किया गया था.

गुलाम नबी आजाद ने घाटी में रह रहे अपने परिजनों का हाल-चाल जाने के लिए अदालत से अपने गृह राज्य में जाने की अनुमति मांगी थी. कांग्रेस नेता ने राज्य की सामाजिक स्थिति जानने के लिए भी सर्वोच्च अदालत से मंजूरी मांगी. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वह दो बार जम्मू-कश्मीर गये, लेकिन उन्हें एयरपोर्ट से ही प्रशासन ने वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया.

आजाद समेत कई लोगों ने दायर की थी याचिका

गुलाम नबी आजाद समेत कई लोगों ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन के खिलाफ याचिका दायर की थी. सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी, बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा ने जम्मू और कश्मीर में अवैध तरीके से बच्चों को बंधक बनाये जाने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी.

वहीं, राज्यसभा सांसद और एमडीएमके के संस्थापक वाइको ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को उपस्थित करने का केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश देने की अपील सुप्रीम कोर्ट से की थी. सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. भसीन ने मीडिया पर प्रतिबंध हटाने की मांग की थी.

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