जीआई टैग मिलने की खुशी में ओड़िशा के मिष्टान्न व्यवसायियों ने बांटे 50,000 रसगुल्ले

भुवनेश्वर : ओड़िशा के रसगुल्ले को बहुप्रतीक्षित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिलने की खुशी में आवेदक संगठन ने करीब 50,000 रसगुल्ले बांटे. करीब तीन हफ्ते पहले ओड़िशा ने पश्चिम बंगाल को पछाड़ते हुए इस टैग को हासिल किया था. रसगुल्ला कारोबारियों के समूह और आवेदक संगठन उत्कल व्यवसायी समिति के सदस्यों ने सोमवार को यहां […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2019 10:19 PM

भुवनेश्वर : ओड़िशा के रसगुल्ले को बहुप्रतीक्षित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिलने की खुशी में आवेदक संगठन ने करीब 50,000 रसगुल्ले बांटे. करीब तीन हफ्ते पहले ओड़िशा ने पश्चिम बंगाल को पछाड़ते हुए इस टैग को हासिल किया था. रसगुल्ला कारोबारियों के समूह और आवेदक संगठन उत्कल व्यवसायी समिति के सदस्यों ने सोमवार को यहां की जनता के बीच राज्य की मशहूर मिठाई रसगुल्ला का वितरण किया.

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पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले के दावे का जिक्र करते हुए समिति अध्यक्ष बिंबधर बेहरा ने कहा कि यह झूठ और फर्जी खबरों पर सत्य की विजय का जश्न मनाने का समय है. संगठन के सदस्यों ने सोमवार की करीब सुबह 10 से 2 बजे के दौरान सभागार में आये लोगों को मिठाइयां बांटीं. इस समारोह के दौरान भुवनेश्वर के पूर्व महापौर और भुवनेश्वर (मध्य) के वर्तमान विधायक अनंत नारायण जेना भी उपस्थित थे.

गौरतलब है कि ओड़िशा ने बीती 29 जुलाई, 2019 को अपने ‘रसगुल्ले’ के लिए बहुप्रतीक्षित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल किया है. भौगोलिक संकेत रजिस्ट्रार चेन्नई ने वस्तु भौगोलिक संकेत (पंजीकरण एवं संरक्षण), कानून 1999 के तहत इस मिठाई को ‘ओड़िशा रसगुल्ला’ के तौर पर दर्ज करने का प्रमाणपत्र जारी किया. यह प्रमाणपत्र 22 फरवरी, 2028 तक वैध रहेगा.

जीआई टैग किसी वस्तु के किसी खास क्षेत्र या इलाके में विशेष होने की मान्यता देता है. साल 2015 से ओड़िशा और पश्चिम बंगाल के बीच रसगुल्ले की शुरुआत को लेकर ‘जंग’ चल रही है. बंगाल को 2017 में उसके ‘रसगुल्ले’ के लिए जीआई टैग प्रदान किया गया था. इसके अगले साल यानी 2018 में ओड़िशा लघु उद्योग निगम लिमिटेड (ओएसआईसी) ने रसगुल्ला कारोबारियों के समूह उत्कल मिष्ठान व्यवसायी समिति के साथ मिलकर ‘ओड़िशा रसगुल्ले’ को जीआई टैग देने के लिए आवेदन किया था.

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