अयोध्या सुनवाई: सातवां दिन, सुप्रीम कोर्ट में बोले रामलला के वकील- जहां मूर्ति वहां मस्जिद नहीं हो सकती

नयी दिल्लीः अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है. आज सुनवाई का सांतवा दिन है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. छह अगस्त को इस मसले पर रोजाना सुनवाई शुरू हुई थी, जिसके तहत हफ्ते में पांच दिन ये […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 16, 2019 12:55 PM
नयी दिल्लीः अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है. आज सुनवाई का सांतवा दिन है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. छह अगस्त को इस मसले पर रोजाना सुनवाई शुरू हुई थी, जिसके तहत हफ्ते में पांच दिन ये मामला सुना जा रहा है.
आज जब सुनवाई शुरू हुई तो रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने कोर्ट में नक्शा और रिपोर्ट दिखाकर कहा कि जन्मभूमि पर खुदाई के दौरान स्तम्भ पर शिव तांडव, हनुमान और देवी देवताओं की मूर्तियां मिली थीं. इसके अलावा पक्का निर्माण में जहां तीन गुम्बद थे, वहां बाल रूप में भगवान राम की मूर्ति थी.
कहा कि अप्रैल 1950 में विवादित क्षेत्र का निरीक्षण हुआ तो कई पक्के साक्ष्य मिले. जिसमें नक्शे, मूर्तियां, रास्ते और इमारतें शामिल हैं. परिक्रमा मार्ग पर पक्का और कच्चा रास्ता बना था, आसपास साधुओं की कुटियाएं थी. रामलला के वकील ने कहा कि पुरातत्व विभाग की जनवरी 1990 की जांच और रिपोर्ट में भी कई तस्वीरें और उनका साक्ष्य दर्ज हैं.
उन्होंने तर्क दिया कि मस्जिद में मानवीय या जीव जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकती हैं, अगर हैं तो वह मस्जिद नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस्लाम मे नमाज/प्रार्थना तो कहीं भी हो सकती है. मस्जिदें तो सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए ही होती हैं. सिर्फ नमाज अदा करने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह आपकी संपत्ति न हो.
इस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई और कहा कि कहीं पर भी नमाज अदा करने की बात गलत है, ये इस्लाम की सही व्याख्या नहीं है. जिस पर रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि गलियों और सड़कों पर भी तो नमाज होती है.

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