धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई, CJI ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार, पूछा- ये किस तरह की याचिका ?

नयी दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका को लेकर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है. याचिकाकर्ता एमएल शर्मा को सीजेआई रंजन गोगोई ने याचिका में गलती होने पर फटकारा है. सीजेआई ने पूछा कि ये किस तरह की याचिका है, इसमें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 16, 2019 11:21 AM

नयी दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका को लेकर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है. याचिकाकर्ता एमएल शर्मा को सीजेआई रंजन गोगोई ने याचिका में गलती होने पर फटकारा है. सीजेआई ने पूछा कि ये किस तरह की याचिका है, इसमें क्या फाइल किया गया है. याचिका लें और दूसरी याचिका दाखिल करें.

अगर याचिकाकर्ता सुधार कर दोबारा याचिका दायर करते हैं तो इसपर सुनवाई अब अगले हफ्ते हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने आज दो याचिकाओं पर सुनवाई किया. पहली याचिका में अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध किया गया. वहीं दूसरी याचिका में कश्मीर में पत्रकारों से सरकार का नियंत्रण हटाने की मांग की गई. पहली याचिका एमएल शर्मा ने डाली, जिसमें कहा गया है कि सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर मनमानी की है, उसने संसदीय रास्ता नहीं अपनाया, राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है.
एमएल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजीआई ने फटकार लगाते हुए कहा कि ये किस तरह की याचिका है. मुझे नहीं समझ नहीं आ रही है. उन्होंने पूछा कि याचिकाकर्ता कैसी राहत चाहते हैं.
दूसरी याचिका कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दायर की. इस याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण खत्म किए जाएं. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रदेश में सभी न्यूज पेपर रिलीज हो रहे हैं आखिर कश्मीर टाइम्स क्यों नहीं. हम रोज ही थोड़ा-थोड़ा कर के पाबंदियां घटा रहे हैं. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हर रोज हम परिस्थितियों को देखकर ढील दी रहे हैं. सुरक्षा बलों पर भरोसा रखिये.
बता दें कि इससे पहले दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर का मामला संवेदनशील है, इस पर केंद्र सरकार को थोड़ा वक्त देना होगा. गौरतलब है कि पांच अगस्त को ये फैसला लिया और जिस तरह दोनों सदनों से ये बिल पास हुआ, उस पर तभी से सवाल खड़े हो रहे हैं.
कांग्रेस समेत विपक्ष की कुछ पार्टियों ने इस बिल और तरीके को गैरसंवैधानिक बताया है. गौरतलब है कि अभी भी जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लागू है, स्कूल-कॉलेज, मोबाइल इंटरनेट, मोबाइल कॉलिंग बंद है. टीवी-केबिल पर भी रोक लगी हुई है. इस बीच कई नेताओं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन शामिल हैं उन्हें नज़रबंद किया गया है. इसी को लेकर कई राजनीतिक दल मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं.

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