अनुच्छेद 370 को लेकर दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और क्षेत्र में मीडिया के काम करने पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को कानूनी चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एसए नजीर की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 15, 2019 6:43 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और क्षेत्र में मीडिया के काम करने पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को कानूनी चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एसए नजीर की विशेष पीठ अधिवक्ता एमएल शर्मा और कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

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अधिवक्ता शर्मा ने जहां अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किये जाने को चुनौती दी है. वहीं, पत्रकार ने अपनी याचिका में पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट एवं लैंडलाइन सेवाओं समेत संचार के सभी माध्यमों को बहाल करने के निर्देश देने की मांग की है, ताकि मीडिया अपना काम कर सके. शर्मा ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के एक दिन बाद छह अगस्त को याचिका दायर की थी.

अधिवक्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति का आदेश गैर-कानूनी है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सहमति के बिना जारी किया गया. वहीं, 10 अगस्त को दायर अलग याचिका में भसीन ने कहा कि वह कश्मीर और जम्मू के कुछ जिलों में पत्रकारों एवं मीडियाकर्मियों की आवाजाही पर लगी सभी पाबंदियों को तत्काल हटाने के संबंध में केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के लिए निर्देश चाहती हैं.

इससे पहले मंगलवार को शीर्ष अदालत ने प्रतिबंधों पर हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि संवेदनशील स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए और सुनवाई दो हफ्तों के बाद तय की थी. जम्मू-कश्मीर की मुख्य राजनीतिक पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में किये गये बदलावों को कानूनी चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है.

पार्टी ने तर्क दिया है कि इन बदलावों ने जनादेश के बिना वहां के नागरिकों से उनके अधिकार ले लिये. यह याचिका लोकसभा सदस्य मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने दायर की है. दोनों नेशनल कॉन्फ्रेंस से हैं.

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