#PulwamaAttack : जानें सुरक्षा बलों के काफिले के साथ, कब से सिविलियन गाड़ियों को चलने की मिली छूट

नयी दिल्ली : गुरुवार 14 फरवरी को सीआरपीएफ जवानों का काफिला जम्मू से श्रीनगर की तरह जा रहा था, जिसमें अधिकतर जवान अपनी ड्‌यूटी ज्वांइन करने कैंप की ओर जा रहा थे, उसी वक्त नेशनल हाईवे पर एक कार जिसमें विस्फोटक भरा था, जवानों के काफिले से आकर टकरा गयी, जिससे भयंकर धमाका हुआ और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 16, 2019 12:50 PM

नयी दिल्ली : गुरुवार 14 फरवरी को सीआरपीएफ जवानों का काफिला जम्मू से श्रीनगर की तरह जा रहा था, जिसमें अधिकतर जवान अपनी ड्‌यूटी ज्वांइन करने कैंप की ओर जा रहा थे, उसी वक्त नेशनल हाईवे पर एक कार जिसमें विस्फोटक भरा था, जवानों के काफिले से आकर टकरा गयी, जिससे भयंकर धमाका हुआ और 40 जवानों की मौत हो गयी. किसी भी आतंकी हमले में इतने जवानों के मारे जाने की यह सबसे बड़ी घटना है. निश्चित तौर पर इस हमले के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सुरक्षा में क्या खामी थी जिसकी वजह से इतनी आसानी से कोई आतंकी सुरक्षा बलों के काफिले में घुस गया.

सुरक्षा में दी गयी थी ढील

गौरतलब है कि वर्ष 2002-03 से पहले किसी सिविलियन गाड़ी को सुरक्षा बलों के काफिले के साथ नहीं जाने दिया जाता था, इतनी सावधानी बरती जाती थी कि जब सुरक्षा बलों का काफिला जाता था, तो आम लोगों के लिए ट्रैफिक बंद कर दिया जाता था, लेकिन फिर आम लोगों को होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस कानून को हटा दिया, जिसके कारण सुरक्षा बलों के काफिले के साथ-साथ सिविलियन गाड़ियां भी चलने लगी. हालांकि उस वक्त यह कहा गया था कि जो सिविलियन गाड़ियां जायेंगी उनकी जांच होगी, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में कोताही बरती गयी, जिसके कारण यह हादसा हुआ.

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