कोरेगांव-भीमा हिंसा : पुलिस को केस डायरी पेश करने और पक्षकारों को लिखित कथन दाखिल करने का आदेश

नयी दिल्ली : कोरेगांव-भीमा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस जांच की केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही पक्षकारों को 24 सितंबर तक अपने लिखित कथन दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि वह इस हिंसा मामले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 20, 2018 1:44 PM

नयी दिल्ली : कोरेगांव-भीमा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस जांच की केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही पक्षकारों को 24 सितंबर तक अपने लिखित कथन दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट किया है कि वह इस हिंसा मामले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले को गंभीरता से सुलझायेगा. कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ अटकलों की वजह से स्वतंत्रता की बलि नहीं दी जा सकती.

राज्य सरकार ने इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत से जारी नोटिस के जवाब में कल न्यायालय में हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में दावा किया था कि ये कार्यकर्ता देश में हिंसा फैलाने और सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना तैयार कर रहे थे.
महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एलगार परिषद की बैठक के बाद पुणे के कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा की घटना की जांच के सिलसिले में कई जगह छापे मारने के बाद तेलुगू कवि वरवरा राव, वेरनान गोन्साल्विज, अरूण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था.

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