सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर गड्ढों की वजह से 2017 में 3597 लोगों की मौत का लिया संज्ञान

नयी दिल्ली : देश में 2017 के दौरान सड़कों पर गड्ढों की वजह से हुई दुर्घटनाओं में 3,597 व्यक्तियों के जान गंवाने के तथ्यों का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्य केंद्र द्वारा प्रकाशित इन आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं. न्यायमूर्ति मदन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 18, 2018 7:47 PM

नयी दिल्ली : देश में 2017 के दौरान सड़कों पर गड्ढों की वजह से हुई दुर्घटनाओं में 3,597 व्यक्तियों के जान गंवाने के तथ्यों का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्य केंद्र द्वारा प्रकाशित इन आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य उन आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं जो उन्होंने ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को उपलब्ध कराये थे.

इन राज्यों का तर्क है कि उनके परिवहन विभागों ने इन आंकड़ों का सत्यापन नहीं किया था. पीठ ने कहा, ‘हम आश्चर्यचकित हैं कि राज्य सरकारें उन आंकड़ों पर सवाल उठा रही हैं जो उन्होंने ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को उपलब्ध कराये थे. राज्यों का यह दृष्टिकोण दुर्भाग्यपूर्ण है.’

न्यायालय ने कहा कि उसने पहले भी टिप्पणी की थी कि भारत में आतंकवादी हमलों के कारण होने वाली मौतों से अधिक संख्या सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की है और यह स्थिति भयभीत करने वाली है. शीर्ष अदालत ने जुलाई महीने में 2017 के दौरान आतंकवादी हमलों में 803 व्यक्तियों के मारे जाने की तुलना में गड्ढों की वजह से हुई दुर्घटनाओं में 3,597 व्यक्तियों के जान गंवाने के बारे में सरकारी आंकड़े उद्धृत करने वाली रिपोर्ट का संज्ञान लिया था.

पीठ ने यह भी कहा था कि हाल ही में सड़क सुरक्षा के बारे में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा आयोजित बैठक में कुछ राज्यों ने कहा कि सड़कों के रखरखाव के लिये उन्हें आबंटित धनराशि अपर्याप्त है. पीठ ने कहा कि चूंकि राज्य सरकारें ही सड़कों का निर्माण करती हैं, इसलिए इनके रखरखाव का दायित्व भी उनका ही है.

पीठ ने सवाल किया, ‘राज्य यह कैसे कह सकते हैं कि वे सड़कों का रखरखाव नहीं करेंगे? यदि उनके पास सड़कों के रखरखाव के लिए पैसा नहीं है तो वे सड़कों के लिये ठेकेदारों को धन क्यों दे रहे हैं? क्या वे सारी सड़कों को ध्वस्त कर देंगे?’ पीठ ने बैठक में कुछ राज्यों के कथन का जिक्र करते हुए मंत्रालय के वकील से सवाल किया, ‘राज्य यह क्या कर रहे हैं? सड़कों की देखरेख का काम किसे करना है? क्या जनता को इनका रखरखाव करना होगा?’

सड़क सुरक्षा के मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कहा कि प्राधिकारी समस्या को नहीं देख रहे और सड़कों पर गड्ढों की मरम्मत के बारे में बैठक में किसी भी नीति पर चर्चा नहीं हुई. इस समस्या से निबटने के लिये कोई मदद नहीं मिली. सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत की समिति अच्छा काम कर रही है परंतु राज्य इस मामले में कुछ नहीं कर रहे हैं.

पीठ ने कहा कि इस महीने के प्रारंभ में आयोजित समिति की बैठक में मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और आठ राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पीठ ने समिति को सड़कों पर इन गड्ढों की वजह से हुई दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों के मामले में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने के साथ ही इसकी सुनवाई नवंबर के पहले सप्ताह के लिये स्थगित कर दी.

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