Supreme Court ने असम से पूछा – परिजनों से अलग कर विदेशियों को हिरासत केंद्र में क्यों रखा

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को विदेशी नागरिकों को उनके परिजनों से अलग कर असम में हिरासत केंद्र में रखे जाने पर नाखुशी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले को शीघ्रता से देखना चाहिए ताकि परिवार टूटे नहीं. न्यायाधीश मदन बी लोकूर और दीपक गुप्ता की पीठ ने असम की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 12, 2018 10:22 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को विदेशी नागरिकों को उनके परिजनों से अलग कर असम में हिरासत केंद्र में रखे जाने पर नाखुशी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले को शीघ्रता से देखना चाहिए ताकि परिवार टूटे नहीं.

न्यायाधीश मदन बी लोकूर और दीपक गुप्ता की पीठ ने असम की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता से कहा आप उन्हें उनके परिवारों से इस तरह से अलग नहीं कर सकते. पीठ असम में हिरासत केंद्र की स्थिति के मुद्दे पर विचार कर रही थी. पीठ ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल द्वारा पेश किये गये तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि नजरबंद किये गये इन लोगों को परिवारों से अलग नहीं किया जा सकता. एएसजी ने अदालत से कहा कि नजरबंद लोगों के साथ परिवारों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर स्थान की बाधा थी. उन्होंने कहा कि हिरासत केंद्र में परिवारों के लिए आवश्यक इंतजाम किए जा सकते हैं, लेकिन ये वहां स्थान की उपलब्धता के अधीन होंगे. वह इस मुद्दे पर निर्देश ले लेंगे.

पीठ ने राज्य से हिरासत केंद्र में गैस सिलेंडर समेत अन्य आवश्यक सविधाएं प्रदान करने के लिए कहा. हालांकि, केंद्र की ओर से पेश हुए एएसजी एएनएस नादकर्णी ने अदालत को बताया कि पूरे देश में विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर वे एक नियमावली को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं. पीठ ने सरकार से कहा कि वह नियमावली को अतिशीघ्र तैयार करे. केंद्र ने सरकार को बताया कि असम में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए 46.51 करोड़ रुपये की राशि जारी की गयी है. मेहता ने पीठ को बताया कि असम के गोलापाड़ा जिले में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गयी है. साल भर में काम पूरा होने की उम्मीद है.

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