सरकार की किसानों से अपील : जलाने के बजाय बायोगैस आदि बनाने में करें डंठल और पुआल का प्रयोग

नयी दिल्ली : कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों से फसलों के अवशेष (डंठल और पुआल आदि) का बायोगैस आदि में सदुपयोग करने और उसके प्रबंध के नये तरीके अपनाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि इसमें सरकारी सहयोग की व्यवस्था की गयी है. फसल अवशेषों की समस्या को निपटाने के लिए […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 11, 2018 7:51 PM

नयी दिल्ली : कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों से फसलों के अवशेष (डंठल और पुआल आदि) का बायोगैस आदि में सदुपयोग करने और उसके प्रबंध के नये तरीके अपनाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि इसमें सरकारी सहयोग की व्यवस्था की गयी है. फसल अवशेषों की समस्या को निपटाने के लिए किसानों को सरकार के सहयोग के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने मंगलवार को कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में इस काम में मदद के लिए एक योजना के तहत दो साल के लिए 1,151.80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

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एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, कृषि मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र सरकार फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाली मशीनों पर 50-80 फीसदी सब्सिडी प्रदान कर रही है, जो किसानों को मिट्टी के साथ फसल अवशेष को मिश्रण करने में मदद करती है, ताकि इसे और अधिक उत्पादक बनाया जा सके. फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के जरूरत के समय अलग-अलग किसानों द्वारा सामुहिक उपयोग की सुविधा प्रदान करने वाले फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना के लिए किसान समूहों को परियोजना लागत के 80 फीसदी भाग की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है.

कृषि मशीनीकरण पर सहायक मिशन के तहत, स्ट्रॉ रैक, स्ट्रॉ बेलर, लोडर इत्यादि पर 40 फीसदी सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा, सरकार के कृषि अनुसंधान निकाय आईसीएआर के लुधियाना और गुजरात में आनंद स्थित दो केंद्रों ने धान की भूसी के इस्तेमाल से बायोगैस उत्पादन के लिए एक संयंत्र विकसित और स्थापित किया है.

मंत्री के अनुसार, क्षेत्र में फसल अवशेषों का प्रबंधन मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनने में मदद करेगा, जिसके परिणामस्वरूप किसान की खाद की लागत में से 2,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की बचत होगी. मंत्री ने कहा कि फसल अवशेष से पैलेट (गोला) बनाकर इसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है. इसके माध्यम से फसल अवशेषों को एकत्र कर इससे उनके गोले या गांठ बनाये जाते हैं, ताकि फसल अवशेष से बने गोले को बिजली उत्पादन संयंत्रों तक आसानी से ले जाया जा सके.

मंत्री ने यह भी बताया कि इस साल अगस्त तक केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने ऐसे अपशिष्टों से 114.08 मेगावाट बिजली उत्पादन किया है. इस साल से एनटीपीसी ने अपने बदरपुर संयंत्र में अपशिष्ट से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

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