मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्‍ताव : जानिए किसे नफा, किसे नुकसान ?

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्‍ताव को सरकार और विपक्ष दोनों अपने लिए अवसर के रूप में देख रहे है. सरकार को जहां लग रहा है कि अगर अविश्वास प्रस्‍ताव विपक्ष के खिलाफ जाता है तो नरेंद्र मोदी सरकार के पक्ष में जनता तक पॉजिटीव मैसेज जाएगा. वहीं विपक्ष […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 18, 2018 10:25 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्‍ताव को सरकार और विपक्ष दोनों अपने लिए अवसर के रूप में देख रहे है. सरकार को जहां लग रहा है कि अगर अविश्वास प्रस्‍ताव विपक्ष के खिलाफ जाता है तो नरेंद्र मोदी सरकार के पक्ष में जनता तक पॉजिटीव मैसेज जाएगा.

वहीं विपक्ष का ऐसा मानना है कि अविश्वास प्रस्‍ताव के दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को न केवल विपक्ष के तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि सहयोगी दल के सवालों का भी सामना करना पड़ सकता है. वैसे में विपक्ष को बड़ा लाभ मिलेगा.

मालूम हो पिछले चार वर्षो में विपक्ष की ओर से नरेंद्र मोदी नीत राजग सरकार के खिलाफ पेश किये गये पहले अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में 20 जुलाई को चर्चा और मत विभाजन होगा. विपक्ष की ओर से जब लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा गया तो उन्‍होंने स्वीकार कर लिया.

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई (शुक्रवार) को चर्चा और मत विभाजन होगा. इस पर पूरे दिन चर्चा होगी और उसी दिन वोटिंग होगी. सदस्यों की ओर से चर्चा के लिए कुछ और समय बढ़ाने की मांग पर स्पीकर ने कहा कि सात घंटे का समय चर्चा के लिये रखा गया है. इस दिन प्रश्नकाल नहीं चलेगा और गैर-सरकारी कामकाज नहीं होगा. सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी.

* विपक्ष को क्‍या होगा लाभ

निचले सदन में भाजपा नीत राजग के सदस्यों की संख्या 313 होने के बावजूद कांग्रेस को उम्मीद है कि अविश्वास प्रस्ताव पर वह सफल रहेगी. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा के दौरान वह नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न मोर्चों पर ‘विफलताओं और जुमलों’ को उजागर करेगी. कांग्रेस का मानना है कि सरकार पिछले चार सालों में सरकार ज्‍वलंत मुद्दों पर चर्चा से बचती रही है. उसने विपक्ष के बिखराव का लाभ उठाया है.

लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं है. पिछले कुछ समय से विपक्ष एकजुट नजर आ रहा है. पिछले उपचुनावों में विपक्ष महागंठबंधन के रूप में उभर कर सामने आया है, वैसे में चर्चा के दौरान सरकार को विपक्ष के महागंठबंधन का सामना करना पड़ेगा.

कांग्रेस को इस अविश्वास प्रस्‍ताव से एक और लाभ नजर आ रहा है कि जब चर्चा के दौरान विपक्षी पार्टी एक साथ अपनी बात सदन में रखेंगे तो इससे जनता के बीच अच्‍छा मैसेज जाएगा. उन्‍हें लगेगा कि अब विपक्ष एकजुट है. इसका लाभ आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मिलेगा. इसके अलावा अविश्वास प्रस्‍ताव के दौरान यह भी तय हो जाएगा कि कौन सा दल किस ओर खड़ा है.

* सरकार को क्‍या होगा लाभ

विपक्ष की ओर से लाए गये अविश्वास प्रस्‍ताव को नरेंद्र मोदी सरकार अपने लिए अवसर के रूप में देख रही है. भाजपा ने उम्मीद जतायी है कि नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाये गए अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को होने वाले मत विभाजन में सरकार को 314 सांसदों का समर्थन मिलेगा.

सरकार का मानना है कि अविश्वास प्रस्‍ताव में अगर उसे बहुमत मिलती है (जो कि तय दिख रही है) तो उससे जनता के बीच पॉजिटीव मैसेज जाएगा कि अब भी मोदी सरकार मजबूत है. और अगर कहीं विपक्षी दल का भी समर्थन मिल जाएगा कि सोने में सुहागा हो जाएगा.

इसके अलावा विपक्ष की अगर अविश्वास प्रस्‍ताव में हार होती है तो इससे सरकार का मनोबल बढ़ेगा और आगामी चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ा लाभ मिलेगा.

एनडीए पक्ष का यह भी मानना है कि चर्चा के दौरान भले ही विपक्ष अपने सवालों की झड़ी लगा देंगे, लेकिन सबका जवाब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही देना है. वैसे में नरेंद्र मोदी जो अपनी वाक-चातुर्य में पारंगत हैं, विपक्ष को भारी पड़ेगा. दूसरा चर्चा एक ही दिन में पूरी होनी है वैसे में प्रधानमंत्री शाम को अपना भाषण देंगे जिसे पूरे देशभर में वीडियो लाइव चलाएगी. इस तरह से प्रधानमंत्री का सदन में विपक्ष पर होने वाला हमला हर चैनल के जरिए लोगों तक पहुंचेगा. ऐसे में यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के लिए उलटा और सरकार की वाहवाही लूटने का साधन ही बन जाएगा.

* क्‍या है सदन में सरकार और विपक्षकीस्थिति

निचले सदन में फिलहाल 535 सदस्य हैं. ऐसे में सरकार को 268 सांसदों के समर्थन की जरूरत है. इन 314 सांसदों की सूची में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का मत शामिल नहीं हैं. वह इंदौर से भाजपा की सांसद हैं.

निचले सदन में भाजपा नीत राजग के सदस्यों की संख्या 313 है जबकि, कांग्रेस नीत संप्रग के सदस्यों की संख्या 63, अन्नाद्रमुक के सदस्यों की संख्या 37, तृणमूल सदस्यों की संख्या 34, बीजद के 20, तेदेपा के 16 और टीआरएस के 11 सदस्य हैं.

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