लोकसभा में अल्पमत में आयी भाजपा…!

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अगुवाईवाली भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, लेकिन क्या आप जानते हैं किवर्ष 2014के लोकसभा चुनाव मेंअपने दम पर बहुमत हासिल करते हुए 282 सीटें जीतनेवाली यह पार्टी अब चार साल बाद अकेले बहुमत से दूर हो चुकी है? जी हां, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 22, 2018 10:29 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अगुवाईवाली भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, लेकिन क्या आप जानते हैं किवर्ष 2014के लोकसभा चुनाव मेंअपने दम पर बहुमत हासिल करते हुए 282 सीटें जीतनेवाली यह पार्टी अब चार साल बाद अकेले बहुमत से दूर हो चुकी है?

जी हां, बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों के आंकड़े से भाजपा पीछे खिसक गयी है. लोकसभा में स्पीकर को छोड़कर भाजपा के पास लोकसभा में केवल 270 सीटें बची हैं.

कर्नाटक चुनाव का असर?

मालूम हो कि भाजपा की यह स्थिति कर्नाटक चुनाव के बाद हुई, जब स्पीकर ने कर्नाटक के दो सांसद- बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया. गौरतलब है कि दोनों नेता कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बने और जीत हासिल की. दोनों नेताओं ने विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली और अपनी संसदीय सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसद कीर्ति झा आजाद को निलंबित कर दिया है. यही नहीं, पार्टी के एक सांसद शत्रुघ्न सिन्हा इन दिनों बागी तेवर अपनाए हुए हैं. ऐसे में पार्टी अगर उन्हें भी निलंबित कर देती है,तो लोकसभा में भाजपा के सांसदों की संख्या 269 पर सिमट जाएगी.

सीटें घटने केबड़े मायने

यहसब जानकर अगर आप कहीं इस नतीजे पर न पहुंच जायें कि पीएम मोदी की सरकार अल्पमत में आ गयी है, अपको बता दें कि अब भी एनडीए के पास बहुमत से कहीं ज्यादा सीटें हैं, लेकिन अब भाजपा अकेले दम पर सरकार में बने रहने की स्थिति में नहीं है. चार सालों में पार्टी की सीटें घटने केबड़े मायने हैं. इससे एनडीए के सहयोगी दलों पर पार्टी की निर्भरता बढ़ गयी है. भाजपा की सीटें कम होने कीवजह पिछले कुछ दिनों में हुए लोकसभा उपचुनावों में उसकी हार और उसके कुछ सांसदों का इस्तीफा रहा है.

उपचुनावों में हार बनी वजह

मालूम हो कि पिछले दिनों भाजपा को कई उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. इनमें उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर सीट, पंजाब में गुरुदासपुर, राजस्थान में अलवर और अजमेर सीट, मध्यप्रदेशमें भिंड सीट का नाम शामिल है. यह बात दीगर है कि कुछ उपचुनावों में भाजपा ने अपनी सीटें बरकरार भी रखी. उसे गुजरात के वडोदरा, मध्यप्रदेश के शाहडोल और असम के लखीमपुर सीट पर जीत हासिल हुईं.

अब भी है मौका

खेल अब भी बिगड़ा नहीं है, भाजपा के पास अकेले दम पर बहुमत तक पहुंचने का एक और मौका है. आगामी 28 मई को चार लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इसमें महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया सीटऔर पालघर सीट, उत्तर प्रदेश में कैराना की सीटऔर नगालैंड में एक सीट शामिल है. लेकिन इन जगहों पर जीत हासिल करना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा, क्योंकि यहां इस राष्ट्रीय पार्टी को क्षेत्रीय दलों से कड़ा मुकाबला करना होगा.

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