केंद्र ने न्यायालय से कहा: आधार कानून है न्यायोचित, निष्पक्ष और तार्किक

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय में आधार कानून को न्यायोचित ठहराया और कहा कि यह एक निष्पक्ष एवं तार्किक कानून है, जो निजता के अधिकार पर ऐतिहासिक फैसले के मानकों का पालन करता है. नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल 24 अगस्त को निजता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 3, 2018 10:17 PM

नयी दिल्ली : केंद्र ने आज उच्चतम न्यायालय में आधार कानून को न्यायोचित ठहराया और कहा कि यह एक निष्पक्ष एवं तार्किक कानून है, जो निजता के अधिकार पर ऐतिहासिक फैसले के मानकों का पालन करता है.

नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल 24 अगस्त को निजता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में घोषित किया था और इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा करार दिया था.

केंद्र ने आज फैसले के संदर्भ में कहा कि तार्किक प्रतिबंध, जो जीवन के अधिकार पर लागू हैं, वे निजता के अधिकार पर भी लागू होंगे.

इसने आधार योजना की वैधता को देख रही प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि निजता के अधिकार संबंधी फैसले में प्रावधान है कि राज्य ऐसी स्थिति में कुछ खास सूचना मांग सकता है जब कोई कानून हो, राज्य का कोई वैध हित हो और नागरिक की निजता को परखने की कोई ठोस वजह हो.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के फैसले में कहा गया है कि कानून होने, राज्य का वैध हित होने और कोई ठोस वजह होने जैसी चीजें निजता उल्लंघन को परखने का आधार हैं.

पीठ में न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं. उन्होंने कहा, आधार कानून मानकों को पूरा करता है और इसमें पर्याप्त सुरक्षा मानक हैं.

आधार कानून न्यायोचित, निष्पक्ष और तार्किक कानून है. यह सामाजिक कल्याण लाभों के अपव्यय को रोकने, काले धन और धन शोधन को रोकने सहित व्यापक जनहित में है. वेणुगोपाल ने कहा कि ये सब वैध राज्य हित हैं.

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