Air India का नौकरी देने से इनकार, ट्रांसजेंडर ने की राष्ट्रपति से ‘मर्सी डेथ” की अपील

नयी दिल्ली : जहां एक तरफ देश में तीसरे लिंग को बराबरी का दर्जा दिए जाने की चर्चा जाेरों पर है और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके लिंग को पहचान देने के निर्देश दिए हुए हैं. इसी बीच, विमानन कंपनी एयर इंडिया की आेर से एक ट्रांसजेंडर को नौकरी देने से मना करने के बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2018 9:39 PM

नयी दिल्ली : जहां एक तरफ देश में तीसरे लिंग को बराबरी का दर्जा दिए जाने की चर्चा जाेरों पर है और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके लिंग को पहचान देने के निर्देश दिए हुए हैं. इसी बीच, विमानन कंपनी एयर इंडिया की आेर से एक ट्रांसजेंडर को नौकरी देने से मना करने के बाद उसने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर ‘इच्छा मृत्यु’ दिये जाने की अपील की है. शानवी पोन्नुस्वामी ने एयर इंडिया में केबिन क्रू के सदस्य के तौर पर नौकरी के लिए आवेदन किया था.

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कंपनी के नौकरी देने से मना करने के बाद शानवी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का रुख कर कंपनी के निर्णय को चुनौती दी थी. इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस संबंध में एयर इंडिया और नागर विमानन मंत्रालय से चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा कहा था. राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में शानवी ने दावा किया है कि न तो एयर इंडिया और न ही नागर विमानन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब दिया है. उसने कहा है कि बिना नौकरी के वह अपना गुजारा करने में सक्षम नहीं है और इसलिए वह ‘इच्छा मृत्यु’ दिये जाने की दरख्वास्त कर रही है.

ट्रांस राइट्स नाऊ कलेक्टिव नामक फेसबुक पेज ने शानवी के पत्र के हवाले से लिखा है कि यह स्पष्ट है कि भारत सरकार मेरे जीवन के मुद्दे और रोजगार के प्रश्न पर जवाब देने को तैयार नहीं है. और, मैं अपने रोजाना के खान-पान पर खर्च करने की भी स्थिति में नहीं हूं. ऐसे में, सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई के लिए वकीलों को पैसा देना संभव नहीं है. अपने पत्र में उसने लिखा है कि उसके लिंग के कारण उसे उसके मूल अधिकार देने से वंचित कर दिया गया है.

शानवी ने लिखा कि उसने ग्राहक सहायक कार्यकारी के तौर पर एक साल तक एयर इंडिया में नौकरी की और उसके बाद उसने लिंग परिवर्तन कराने की सर्जरी करा ली. इसके बाद उसने दो साल की अवधि में चार बार नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन उसे नौकरी नहीं दी गयी.