आज ‘लोहड़ी’ का उत्सव, जानें क्या है खास

आज ‘लोहड़ी’ है, यह उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है. यह मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है. रात्रि में खुले स्थान पर परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं और इस समय रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाया जाता है. भारत के अलग-अलग प्रांतों में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 13, 2018 11:59 AM

आज ‘लोहड़ी’ है, यह उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है. यह मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है. रात्रि में खुले स्थान पर परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं और इस समय रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाया जाता है. भारत के अलग-अलग प्रांतों में मकर संक्रांति के दिन या आसपास कई त्योहार मनाएं जाते हैं, जो कि मकर संक्रांति के ही दूसरे रूप हैं. उन्हीं में से एक है लोहड़ी. यह त्योहार पंजाब और हरियाणा में धूम-धाम से मनाया जाता है. आइए जानें इस त्योहार से जुड़े रोचक तथ्य:-

लोहड़ी नाम क्योंपड़ा
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था. यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया. मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है. पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है. इस दिन तिल खाने का विशेष रिवाज है.
वसंत के आगमन का सूचक है त्योहार
लोहड़ी वसंत के आगमन की सूचना देता है. यह त्यौहार 13 जनवरी को मनाया जाता है. इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है.
त्योहार में आग का महत्व
लोहड़ी की संध्या को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं. अग्नि की परिक्रमा करते और आग के चारों ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं. इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लेते हैं.
विशेष पकवान
लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं जिसमें गजक, रेवड़ी, मूंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं.

नवविवाहितों के लिए है खास
पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है. जिस घर में नयी शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है. प्राय: घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है. इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है.

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