बिहार- झारखंड की दंपति ने किया था बेटी होने का दावा, गीता ने किया इनकार

इंदौर / रांची : पाकिस्तान में कई सालों तक फंसी गीता को जब भारत लाने की कोशिश तेज हुई तो उम्मीद थी कि उसके परिवार वाले जल्द से जल्द गीता के पास आयेंगे. गीता भी अपने परिवार वालों को पहचान लेगी. लगभग दो साल के बाद भी गीता को अबतक उसके परिवार का इंतजार है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2017 6:07 PM

इंदौर / रांची : पाकिस्तान में कई सालों तक फंसी गीता को जब भारत लाने की कोशिश तेज हुई तो उम्मीद थी कि उसके परिवार वाले जल्द से जल्द गीता के पास आयेंगे. गीता भी अपने परिवार वालों को पहचान लेगी. लगभग दो साल के बाद भी गीता को अबतक उसके परिवार का इंतजार है. बिहार और झारखंड के रहने वाले दो परिवार ने गीता को अपनी बेटी बताया था.

गीता ने दोनों परिवार को पहचानने से इनकार कर दिया. वबिहार के उस मुस्लिम दम्पति को पहचानने से आज साफ इंकार कर दिया जो इस मूक-बधिर युवती को अपनी खोयी बेटी बता रहा है. उसने इशारों की जुबान में कहा कि वह हिन्दू देवी-देवताओं की उपासक है और मुस्लिम परिवार से ताल्लुक नहीं रखती. प्रभारी जिलाधिकारी रचिका चौहान ने संवाददाताओं को बताया कि गीता के माता-पिता की खोज के अभियान के तहत बिहार के सारण जिले के मिर्जापुर गांव निवासी मोहम्मद ईसा, उनकी पत्नी जुलेखा खातून और उनके दो पारिवारिक सदस्यों से मूक-बधिर युवती की मुलाकात करायी गयी। उसने इन्हें देखते ही इशारों की जुबान में स्पष्ट तौर पर कहा कि यह उसका परिवार नहीं है.

उन्होंने कहा, गीता ने इशारों में बताया कि वह हिन्दू देवताओं-शंकर और हनुमान की पूजा करती है और मुस्लिम परिवार से ताल्लुक नहीं रखती है चौहान ने हालांकि बताया कि संबंधित मुस्लिम पति-पत्नी के डीएनए नमूने ले लिये गये हैं. इन्हें गीता की वल्दियत की जांच के लिये दिल्ली की एक प्रयोगशाला भेजा जायेगा. उन्होंने कहा, अगर गीता किसी दम्पति को अपने माता-पिता के रुप में पहचान लेगी, तब भी हम उनके डीएनए नमूने जांच के लिये भेजेंगे. आखिरकार डीएनए टेस्ट से ही तय होगा कि इस युवती पर किसी दम्पति का वल्दियत का दावा सही है या नहीं.
चौहान ने बताया कि झारखंड के जामताडा जिले के सोखा किशकू के किसान परिवार से भी आज गीता की मुलाकात करायी गयी. यह परिवार भी गीता को अपनी खोयी बेटी बता रहा है. उन्होंने बताया कि गीता ने किशकू के परिवार को भी पहचानने से इंकार कर दिया. हालांकि, जांच के लिये इस परिवार के डीएनए नमूने भी ले लिये गये हैं. उधर, गीता पर दावा करने वाले मुस्लिम परिवार के सदस्यों ने इस मूक-बधिर लडकी द्वारा उसे पहचानने से इंकार किये जाने के बावजूद फिलहाल उम्मीद नहीं छोडी है.
उनका कहना है कि गीता इस परिवार की सदस्य रुबेदा है जो वर्ष 1995 में बारात देखने के लिये घर से निकली थी और गुम हो गयी थी. मोहम्मद ईसा के बेटे हिमताज ने संवाददाताओं से कहा, गीता ने मेरे पिता को पहचानने से इंकार कर दिया। लेकिन हो सकता है कि लम्बे समय तक परिवार से दूर रहने के कारण उसकी बचपन की यादें मिट गयी हों. हमें उम्मीद है कि डीएनए टेस्ट के जरिये स्थिति स्पष्ट हो जायेगी. गीता द्वारा खुद को हिन्दू धर्म की अनुयायी बताने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनके गांव की गंगा-जमुनी संस्कृति के कारण उनकी खोयी बहन के अवचेतन मन में मंदिरों और हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा से जुडी स्मृतियां दर्ज हो सकती हैं.
हिमताज ने कहा, हमारे घर के आस-पास मस्जिद के साथ बहुत सारे मंदिर हैं. वहां हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के पर्व-त्योहार मिल कर मनाते हैं. हम छठ के त्योहार के दौरान हिन्दू परिवारों के घर जाते हैं. प्रभारी जिलाधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के जयसिंह कराभरी इथापे के परिवार ने भी कुछ दिन पहले गीता को अपनी बेटी बताया था। लेकिन यह परिवार आज तय कार्यक्रम के बावजूद मूक-बधिर युवती से मुलाकात के लिये नहीं पहुंचा.
उन्होंने कहा, महाराष्ट्र का यह परिवार अब इस सिलसिले में असमंजस की स्थिति में है कि गीता उनकी बेटी है या नहीं। शायद इसलिये यह परिवार आज इससे मुलाकात के लिये नहीं पहुंचा. अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का दावा फिलहाल साबित नहीं हो सका है.
गीता गलती से सीमा लांघने के कारण दशक भर पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी. भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण गीता 26 अक्तूबर 2015 को स्वदेश लौटी थी। इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर भेज दिया गया था। तब से वह इसी परिसर में रह रही है

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