अबकी दुर्गापूजा में धेनुआ गांव की महिला ढाकी टीम मचायेगी धमाल

हीरापुर थाना क्षेत्र के बर्नपुर धेनुआ गांव की कुछ महिलाओं ने ढाकी की टीम बनाकर अपनी कला से लोगों को हैरान कर दिया है. कोयलांचल की धरती पर इसबार दुर्गापूजा उनकी हुनर देखने को मिलेगी.

By AMIT KUMAR | September 24, 2025 9:52 PM

आसनसोल/नियामतपुर.

हीरापुर थाना क्षेत्र के बर्नपुर धेनुआ गांव की कुछ महिलाओं ने ढाकी की टीम बनाकर अपनी कला से लोगों को हैरान कर दिया है. कोयलांचल की धरती पर इसबार दुर्गापूजा उनकी हुनर देखने को मिलेगी. जिस ढाकी (बाद्य यंत्र) पर अब तक सिर्फ पुरुषों का वर्चस्व माना जाता था, उसे आज महिलाएं कंधे पर उठाकर बजा रही हैं. जिसे देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है, महिलाएं भी अपनी हुनर से दर्शकों को आनंद देने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं. न चाहते हुए भी महिलाओं की ढाकी की धुन पर दर्शक खड़े-खड़े झूमने लगते हैं. समाज की समालोचना और तानों को पीछे छोड़कर संयुक्त परिवार की बहू, सास और ननदों ने मिलकर मां काली महिला ढाकी दल तैयार किया है. बंगाल के विभिन्न इलाकों के अलावा इसबार इनकी मांग झारखंड में भी हुई है.

संघर्ष से शुरू हुआ सफर, लोगों की समालोचना और तानों का अपनी हुनर से दिया जवाब

राज्य के कुछ इलाकों में महिलाओं का ढाकी टीम है और इनकी भारी मांग है. पिछले साल आसनसोल में दुर्गापूजा कार्निवाल के दौरान बाहर से आयी महिला ढाकी टीम को देखकर धेनुआ गांव की महिलाओं ने ठान लिया कि वे भी यह कर सकती हैं. परिवार के बजुर्गों ने महिलाओं के इस निर्णय का समर्थन किया. जिसके बाद इनका सफर शुरू हुआ. शुरुआत में इन्हें लोगों की समालोचना, ताने सुनना पड़ा. यह महिलाएं हंसी-मजाक की पात्र बनी. लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और मेहनत से महिलाओं ने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया.

हर दिन सधी धुन की रिहर्सल, गुरु जीतेन बाद्यकर देते हैं प्रशिक्षण

धेनुआ गांव के बाद्यकर पाड़ा इलाके में स्थित कालीकृष्ण जोगा आश्रम में प्रतिदिन शाम को इनके अभ्यास दौर चलता है. टीम की 17 महिला सदस्य एक साथ ढाक बजाने का प्रशिक्षण लेती है. प्रशिक्षक जीतेन बाद्यकर ने बताया कि यह महिलाएं दिनभर घर संभालती हैं, कुछ मजदूरी करती हैं. इसके बाद भी समय निकालकर शाम को रोजाना अभ्यास करती हैं. अब इन्हें पूजा पंडालों के साथ-साथ राजनीतिक शोभायात्राओं से भी बुलावा आने लगा है.

इस साल रामनवमी में लोगों ने देखा इनका हुनर, बढ़ी मांग

छह अप्रैल 2025 को रामनवमी के मौके पर पहली बार इन 12 सदस्यीय महिला ढाकी की टीम ने इलाके में एक राजनीतिक शोभायात्रा में अपना प्रदर्शन तो हर कोई हैरान रह गया. इसके बाद से इनकी मांग बढ़ी. आज स्थिति यह है कि आसनसोल ही नहीं बल्कि पास के जिला बांकुड़ा, पुरुलिया, बर्दवान और झारखंड राज्य के धनबाद तथा देवघर तक से इन्हें आमंत्रण मिल रहा है.

पहले लोग हंसते थे, अब बुलावा भेजते हैं

इस साल दुर्गापूजा में कुमारपुर, चलबलपुर, झारखंड के जामताड़ा और धनबाद के विभिन्न पंडालों में इनकी प्रस्तुति देखने को मिलेगी. नवपत्रिका से लेकर विसर्जन की शोभायात्रा में इनका हुनर और ढाकी की धुन लोगों को आकर्षित करेगी. टीम की सदस्य शोभा, शिवानी, माम्पी, रीना ने बताया कि पहले लोग हंसते थे, अब बुलावा भेजते हैं. हम सब एक ही रंग की साड़ी पहनकर मंच पर उतरते हैं और दो-तीन ढाक एक साथ बजा सकते हैं.

पहले घर के लोग ही संकोच में थे, अब पूरा गांव साथ खड़ा है. महिलाओं ने कहा कि ढाक बजाना सिर्फ रोजगार नहीं बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की नयी पहचान है. इस दुर्गापूजा में कोयलांचल के कई पंडालों में इनकी ढाक यह साबित करेगी कि इच्छाशक्ति और मेहनत से कोई भी बाधा पार किया जा सकता है.

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