विटामिन बी रखेगा आपको स्वस्थ…. सेहत संबंधी इन समस्याओं से मिलेगी निजात
श्वेता जायसवाल कंसल्टेंट डायटिशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची स्वस्थ रहने के लिए हम हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार लेने की कोशिश करते हैं, पर कई बार खान पान में कमी रह ही जाती है. इससे सेहत संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती हैं. शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए विटामिन्स जरूरी हैं. […]
श्वेता जायसवाल
कंसल्टेंट डायटिशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची
स्वस्थ रहने के लिए हम हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार लेने की कोशिश करते हैं, पर कई बार खान पान में कमी रह ही जाती है. इससे सेहत संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती हैं. शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए विटामिन्स जरूरी हैं. विटामिन्स में सबसे अधिक वेराइटी होती है विटामिन बी की. यह मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को सही से काम करने में मदद करता है. विटामिन बी हमारे मुंह, जीभ एवं आंखों के लिए लाभकारी है. विटामिन बी कॉम्प्लेक्स मेटाबाॅलिज्म बढ़ाता है.
यह पोषण को ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है. हमारी कोशिकाओं में पाये जानेवाले जीन (DNA) को बनाने और उसकी मरम्मत करने में सहायक होता है. यह ब्रेन, स्पाइनल कॉर्ड एवं नसों के कुछ तत्वों की रचना में भी सहायक है. RBC का निर्माण एवं शरीर के सभी हिस्सों के लिए प्रोटीन बनाने का कार्य भी विटामिन बी कॉम्प्लेक्स करता है.
विटामिन बी1 : इसे थायमिन भी कहा जाता है. यह कार्बोहाइड्रेट के पाचन में मदद करता है. इसकी कमी से ड्राइ बेरीबेरी और वेट बेरी बेरी बीमारी होती है. ड्राइ बेरी बेरी के कारण भूख नहीं लगने, पैरों में झिनझिनी, चिड़चिड़ापन आदि की समस्या देखने को मिलती है. वहीं, वेट बेरी बेरी में कमजोरी, सांस की तकलीफ, धड़कन असंतुलित होने की समस्या देखी जाती है. इससे हार्ट फेल्योर का खतरा भी रहता है. विटामिन बी1 के मुख्य स्रोत हैं: दाल, बादाम, फल, सब्जी, मीट, मछली, अंडा, दूध इत्यादि.
विटामिन बी2 : इसे रायबोफ्लेविन कहते हैं. यह प्रोटीन एवं ऊर्जा के मेटाबाॅलिज्म को बढ़ाने में सहयोग करता है. यह विटामिन सूरज की रोशनी और खाने को अधिक पकाने से समाप्त हो जाता है. इसकी कमी से glossitis और dermatitis नामक बीमारी हो सकती है. इसमें जीभ का फूल जाना, मुंह के किनारे का स्किन फटने लगता है. विटामिन बी2 के स्रोत हैं : अंडे की जरदी, दूध से बनी चीजें, लिवर, दाल, मटर, मछली आदि.
विटामिन बी3 : यह विटामिन शरीर की वृद्धि में सहायक है. इसकी कमी से थकान, कमजोरी, तनाव, सिर दर्द एवं शरीर की वृद्धि रुक जाती है. यह विटामिन मुख्यतः दूध में पाया जाता है. इसके अलावा यह अंडे की जरदी, मेवा और अखरोट में भी पाया जाता है.
विटामिन बी5 : इसकी कमी से जीभ का फूलना, पिगमेंटेड त्वचा और डायरिया हो सकती है. इसके मुख्य स्रोत हैं दूध, बादाम, मक्खन, दाल, आदि.
विटामिन बी6: यह हीमोग्लोबिन निर्माण में मददगार है. यह त्वचा को भी स्वस्थ रखता है. यह विटामिन मांस, मछली, अंडे की जरदी, चावल, गेहूं और मटर में बहुतायात पाया जाता है. इसकी कमी से हीमोग्लोबिन की कमी और त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं. इसमें बीन्स, मीट, मछली और सोया प्रोडक्ट फायदेमंद है.
विटामिन बी7: इसे बायोटिन भी कहते हैं. इसकी कमी से डिप्रेशन, तनाव, कमजोरी, थकान आदि हो सकती है. मुख्य स्रोत हैं : सोयाबीन, गेहूं, बाजरा, मैदा, चावल व ज्वार.
विटामिन बी9 : फोलिक एसिड नाम से भी जाना जाता है. यह पीले रंग का स्वादहीन एवं रंगहीन होता है. भोजन को पकाते वक्त इस विटामिन की ज्यादातर मात्रा समाप्त हो जाती है. यह खून के निर्माण में मदद करता है. इसकी कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है. इस विटामिन का स्रोत है : दलिया, मटर, मूंगफली और अंकुरित अनाज आदि.
विटामिन बी12 : यह डीएनए के निर्माण में मदद करता है. यह लाल रंग का होता है और खाने को ज्यादा पकाने यह विटामिन नष्ट हो जाता है. इस विटामिन की कमी से एनिमिया रोग हो सकता है. साथ ही इसकी कमी से हार्ट ब्लाकेज, अधिक थकान, सर्दी, डिप्रेशन, तनाव एवं यादाश्त कमजोर आदि होती है. साथ ही स्पाइनल कॉर्ड की नसें भी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं. इससे पैरालाइसिस अटैक हो सकता है. यह मुख्यतः एनिमल स्रोत में ही पाया जाता है जैसे- अंडा, मांस, मछली.
