Vidur Niti: एक स्त्री कभी नहीं चाहती ऐसे व्यक्ति को अपना पति बनाना
विदुर नीति में बताया गया है कि कैसी आदतों वाले व्यक्ति को कोई स्त्री अपना पति नहीं बनाना चाहती. जानिए इस नीति श्लोक का गहरा अर्थ.
Vidur Niti: महाभारत के महान ज्ञानी और नीतिकार विदुर ने जीवन के हर क्षेत्र के लिए गहरी शिक्षाएं दी हैं. उनकी कही गई बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी हजारों साल पहले थीं. विदुर नीति में उन्होंने बताया है कि कैसा व्यक्ति न तो प्रजा को पसंद आता है और न ही स्त्रियां उसे अपना पति बनाना चाहती हैं.
Vidur Niti: ऐसी व्यक्ति को कोई नहीं चाहता अपना साथी या स्वामी बनाना
विदुर नीति श्लोक
प्रसादो निःफलो यस्य क्रोधश्चापि निरर्थकः।
न तं भर्तारमिच्छन्ति शपथं पतिमिव स्त्रियः॥
भावार्थ
जिस व्यक्ति की प्रसन्नता (खुशी) किसी के लिए लाभदायक न हो और जिसका क्रोध भी व्यर्थ और निरर्थक हो, ऐसे व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता. जैसे स्त्री किसी नपुंसक पुरुष को अपना पति नहीं बनाना चाहती, वैसे ही प्रजा भी ऐसे राजा को अपना स्वामी नहीं बनाना चाहती.
विदुर नीति के अनुसार कौन से लोग किसी को पसंद नहीं आते?
- जो व्यक्ति बिना कारण क्रोध करते हैं.
- जिनकी प्रसन्नता किसी और के काम न आती हो.
- जो स्वार्थी और निष्ठुर स्वभाव के होते हैं.
- जिनमें निर्णय लेने की क्षमता और संवेदना की कमी हो.
प्रजा किसे अपना राजा नहीं चुनती?
प्रजा ऐसे व्यक्ति को राजा नहीं बनाना चाहती जो नीतिहीन हो, दूसरों की भावनाओं को न समझे और जनता के सुख-दुख में सहभागी न बने.
स्त्री किससे विवाह नहीं करना चाहती?
विदुर कहते हैं कि कोई स्त्री ऐसे व्यक्ति को पति नहीं बनाना चाहती जो नपुंसक, असंवेदनशील या निष्क्रिय हो यानी जो न क्रोध में निर्णय ले सके, न प्रसन्नता से किसी का भला कर सके.
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