डॉ आलोक प्रेमी की अंगिका कविताएं – उम्मीद बनी क आएलों और कहलों नाय जाय छै!

प्रभात खबर दीपावली विशेषांक में अंगिका में कविता लिखने वाले डॉ आलोक प्रेमी की दो कविताएं प्रकाशित हुईं हैं. ‘उम्मीद बनी क आएलों’ और ‘कहलों नाय जाय छै!’ आप भी पढ़ें...

By Mithilesh Jha | December 1, 2023 6:51 PM

प्रभात खबर दीपावली विशेषांक में अंगिका में कविता लिखने वाले डॉ आलोक प्रेमी की दो कविताएं प्रकाशित हुईं हैं. ‘उम्मीद बनी क आएलों’ और ‘कहलों नाय जाय छै!’ आप भी पढ़ें…

उम्मीद बनी क आएलों

हमरों निराशापन म

उम्मीद बनी क आएलों।

छिरयलों जिंदगी म

संगीत बनी क आएलों।

दुविधा के जिंदगी म

हैरान – परेशान छेलों हम्में।

जख्मों क भरैं वास्ते

नवनीत बनी क आएलों।

एक घनघोर अंधेरा जे

हमरा सताय रहालों छेलैं।

सद ज्ञान के प्रभा म

तोयं गीत बनी क आएलों।

लागैं छेलैय हारी बैठलों हम्में

जिन्दगी के बाजी,

यही कठिन छनों म

तोयं जीत बनी क आएलों।

अपनो आरु पराया के

निर्णय कठिन छेलैय करना।

मुश्किल समय म

तोयं मित बनी क आएलों।

हमरों निराशापन म

उम्मीद बनी क आएलों।

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कहलों नाय जाय छै!

जे दु:ख कहालों नाय जाय छै,

हौव दुःख सहलों नाय जाय छै!

कुछ किस्सा ऐसनों होय छै,

सभ्भैय से कहलों नाय जाय छै!

होकरा से आखिर कैसें कही दिये,

तोरा बिना रहलो नाय जाय छै!

प्यार करैले आबै नाय छै,

प्रेमी सें लड़लो नाय जाय छै!

जे मैसेज दूरी पैदा करैं,

होकरा पढ़लों नाय जाय छै!

शीशा के चौखट बनाय क ,

पत्थर मढ़लों नाय जाय छै !

पता : द्वारा-पिन्टू यादव, सकिचन घाट रोड, नया बाजार, भागलपुर-812001/2,

संपर्क : 95045 23693

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