Kathmandu Trip: सावन में करें काठमांडू के पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जानें कैसे पहुंचेगे आप नेपाल

Kathmandu Trip: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन या श्रावण का महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है। श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम समय है। मान्यता है कि इसी माह में माता पार्वती ने कठोर तपस्या और व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उन्हें अपने पति के रूप में प्राप्त किया था.

By Bimla Kumari | July 2, 2023 1:43 PM

Kathmandu Trip: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन या श्रावण का महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है। श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम समय है। मान्यता है कि इसी माह में माता पार्वती ने कठोर तपस्या और व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उन्हें अपने पति के रूप में प्राप्त किया था. एक पौराणिक कथा के अनुसार, सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर ब्रह्मांड की रक्षा की थी.

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है. भगवान शिव की पूजा के लिए भारत में कई प्राचीन शिव मंदिर, ज्योतिर्लिंग और शिवालय मौजूद हैं. सावन के महीने में अगर आप भगवान शिव के प्राचीन और अद्भुत मंदिर के दर्शन करने के साथ-साथ अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमना चाहते हैं तो आप नेपाल की यात्रा कर सकते हैं. भारत के पड़ोसी देश नेपाल की यात्रा पर आपको प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के साथ-साथ विदेश यात्रा का अनुभव भी मिलेगा. आइए जानते हैं काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कैसे करें और कम पैसे में कैसे यात्रा की योजना बनाएं.

पशुपतिनाथ मंदिर कब खुलता है

पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर रोजाना सुबह 4 बजे से रात 9 बजे तक खुलता है. मंदिर के दरवाजे दोपहर और शाम पांच बजे बंद कर दिये जाते हैं. घूमने का सबसे अच्छा समय सुबह या देर शाम है. पूरे मंदिर परिसर का भ्रमण करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है. यह मंदिर देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित है. यहां भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति भी है. ऐसा माना जाता है कि पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग पारस पत्थर के समान है. भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति तक जाने के लिए चार दरवाजे हैं, जो चांदी से बनी है. पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग को केदारनाथ मंदिर का आधा हिस्सा माना जाता है.

मंदिर की मान्यता

ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति पशुपतिनाथ के दर्शन करने आता है उसे किसी भी जन्म में पशु की योनि नहीं मिलती है. अगर आप दर्शन के लिए आएं तो ध्यान रखें कि शिवलिंग से पहले नंदी जी के दर्शन न करें. मंदिर परिसर में बासुकीनाथ मंदिर, उन्मत्त भैरव मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, कीर्ति मुख भैरव मंदिर, 184 शिवलिंग मूर्तियां और बूंदा नीलकंठ मंदिर आदि मौजूद हैं.

नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर तक कैसे पहुंचे?

पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग नेपाल के काठमांडू में स्थित है. नेपाल पहुंचने के लिए दिल्ली से ट्रेन, उड़ान और बस सेवाएं उपलब्ध हैं. बजट में यात्रा करने के लिए ट्रेन से यात्रा करें, क्योंकि ट्रेन का किराया फ्लाइट और बसों की तुलना में सस्ता है. दिल्ली से कई ट्रेनें चलती हैं क्योंकि सत्याग्रह एक्सप्रेस रक्सौल तक जाती है. इस ट्रेन के स्लीपर कोच का किराया करीब 500 रुपये है. यह ट्रेन आनंद विहार से शाम 5 बजे रवाना होती है.

रक्सौल रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा आपको 20-30 रुपये में नेपाल सीमा तक ले जाता है. यहां आप भारतीय रुपए को नेपाली मुद्रा से बदल सकते हैं. नेपाल सीमा से आपको काठमांडू के लिए बस या टैक्सी मिल जाएगी. इसके अलावा गोरखपुर तक ट्रेन से जाएं, आगे आप सनोली तक बस से जा सकते हैं, जो आपको नेपाल बॉर्डर तक ले जाएगी और फिर यहां से आपको काठमांडू के लिए बस मिल जाएगी. अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो दिल्ली से काठमांडू के लिए सीधी फ्लाइट है. यह शहर काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है.

नेपाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

पशुपतिनाथ मंदिर के अलावा नेपाल में कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं. काठमांडू में कई खूबसूरत मठ बने हैं, इसके अलावा स्वयंभूनाथ मंदिर, पोखरा में देवी फॉल और फेवा झील भी देखी जा सकती है.

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