Happy Republic Day : संविधान निर्माण में शामिल महिलाओं के बारे में क्या जानते हैं आप

Republic Day 2022: संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए बनी समिति में 15 महिलाएं भी थीं, जो महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन गयीं. गणतंत्र दिवस के मौके पर हम रूबरू करा रहे हैं इन महिला शख्सियतों से…

By Prabhat Khabar | January 26, 2022 9:13 AM

Republic Day 2022: आज हम अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं. तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए भारत ने बीते 73 वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की. संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए बनी समिति में 15 महिलाएं भी थीं, जो महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन गयीं. गणतंत्र दिवस के मौके पर हम रूबरू करा रहे हैं इन महिला शख्सियतों से……

दुर्गाबाई देशमुख : वर्ष 1946 में संविधान सभा की सदस्य बनीं. संविधान सभा तथा अस्थायी संसद मेंक कम से कम 750 संशोधन प्रस्ताव रखे. देश में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना का विचार सबसे पहले रखा.

सुचेता कृपलानी : संविधान सभा के गठन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए शामिल की गयीं. आजाद भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया.

मालती चौधरी : गांधी जी इन्हें ‘तूफानी’ कहते थे और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर प्यार से ‘मिनु’. संविधान सभा की सदस्य तथा उत्कल प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के तौर पर ग्राम पुनर्निर्माण में शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा की भूमिका बढ़ाने का अथक प्रयास किया.

विजयलक्ष्मी पंडित : संयुक्त राष्ट्र में किसी राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाली प्रथम महिला तथा 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम निर्वाचित महिला अध्यक्ष बनीं.

कमला चौधरी : वर्ष 1930 में बापू के सविनय अवज्ञा आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के साथ ही एक लेखिका के तौर पर भी प्रसिद्धि हासिल की. सत्तर के दशक में लोकसभा सदस्य भी बनीं.

राजकुमारी अमृत कौर : स्वतंत्र भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री बनीं और दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

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सरोजिनी नायडू : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष और पहली महिला भारतीय राज्य गवर्नर बनीं. भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही भारत का संदेश अमेरिका और अन्य देशों में पहुंचाया.

रेणुका रे : भारत की संविधान सभा में निर्वाचित होने वाली चुनिंदा महिलाओं में से एक थीं. इन्हें 1934 में ऑल इंडिया वीमेन कॉन्फ्रेंस में काम करते हुए भारतीय महिलाओं की स्थिति पर महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए भी याद किया जाता है.

हंसा जीवराज मेहता : वर्ष 1946 से 1950 तक भारत की संविधान सभा की सदस्य रहीं.

दक्षायनी वेलायुधन : संविधान सभा के लिए चुनी गयी इकलौती दलित महिला थीं. साल 1945 में कोच्चि विधान परिषद की सदस्य चुनी गयी थीं.

पूर्णिमा बैनर्जी : सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल रहीं.

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अम्मू स्वामीनाथन : संविधान में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने की बात प्रमुखता से रखी. संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभायी.

लीला रॉय : आजादी की लड़ाई में छह साल तक लगातार जेल में रहीं. वर्ष 1946 में ढाका से संविधान सभा की सदस्य चुनी गयीं.

बेगम एजाज रसूल : भारतीय संविधान सभा में एकमात्र मुस्लिम महिला के रूप में उपस्थिति दर्ज करायी. वर्ष 1969 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा की सदस्य रहीं.

एनी मस्कराने : भारत से त्रावणकोर राज्य के समन्वय में इनकी अहम भूमिका रही. भारत के पहले आम चुनाव में केरल से पहली महिला सांसद चुनी गयीं.

Posted By : Amitabh Kumar

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