Parenting Tips: बच्चे बन रहे हैं Peacock Parenting का शिकार? कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यही गलती
Parenting Tips: क्या आप भी अनजाने में Peacock Parenting की गलती कर रहे हैं? जानें बच्चों को शोपीस बनाने से होने वाले नुकसान और इससे बचने के उपाय.
Parenting Tips: आज के समय में हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा सबसे आगे रहे, हर जगह उसकी तारीफ हो और वह सबका ध्यान खींचे. लेकिन अक्सर इसी चाहत में कई पेरेंट्स अनजाने में “पीकॉक पेरेंटिंग” (Peacock Parenting) का शिकार हो जाते हैं.
पीकॉक पेरेंटिंग वही तरीका है जिसमें बच्चे को दूसरों के सामने शोपीस की तरह पेश किया जाता है और उसकी तुलना, ब्रांडिंग और परफॉर्मेंस को ही महत्व दिया जाता है. देखने में यह आकर्षक लगता है, लेकिन लंबे समय में यह बच्चों के आत्मविश्वास और मानसिक विकास पर नकारात्मक असर डालता है.
जानें कि Peacock Parenting क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
पीकॉक पेरेंटिंग (Peacock Parenting) क्या है?
Peacock Parenting का मतलब है बच्चों को अपनी शान और शोहरत का जरिया बनाना. जैसे मोर अपने पंख फैलाकर सबका ध्यान खींचता है, वैसे ही कुछ माता-पिता अपने बच्चों को बार-बार दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं ताकि लोग उनकी वाहवाही करें. लेकिन यह आदत बच्चों के आत्मविश्वास को कमजोर करती है और उनमें हीनभावना पैदा कर सकती है.
Parenting Tips: Peacock Parenting की आम गलतियां
1. बच्चों की वाहवाही करना जैसे शोपीस
कई पेरेंट्स हर जगह बच्चे की सुंदरता, कपड़ों या टैलेंट को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं. यह बच्चों को एक वस्तु की तरह प्रस्तुत करने जैसा है.
2. बार-बार परफॉर्म कराना
डांस करके दिखाओ, कविता सुनाओ, गाना गाओं – ये बातें बच्चों को दबाव में डालती हैं. धीरे-धीरे वे दूसरों को खुश करने की आदत पाल लेते हैं.
3. बच्चों की ब्रांडिंग करना
महंगे स्कूल, स्टाइलिश कपड़े और बड़ी-बड़ी चीजों के जरिए बच्चों की छवि बनाना असल में दिखावे पर ध्यान देना है, न कि उनकी वास्तविक ग्रोथ पर.
4. बच्चों की तुलना करना
“देखो, उसके बच्चे ने मेडल जीते हैं, तुम क्यों नहीं?” – इस तरह की तुलना बच्चों के आत्मविश्वास को तोड़ देती है और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा करती है.
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Peacock Parenting से बचने के उपाय
- बच्चों की पर्सनैलिटी ग्रोथ पर ध्यान दें: हर बच्चा अलग होता है. इसलिए पढ़ाई, खेल और कला के साथ-साथ उनके व्यवहार और दयालुता को भी महत्व देना जरूरी है.
2. गलतियों को स्वीकार करना सिखाएं: बच्चों को यह समझाएँ कि गलती करना बुरा नहीं है. असली सीख गलती से सुधारने में है.
3. सच्चे प्यार का अनुभव कराएं: बच्चे को यह महसूस कराएँ कि आप उसे उसी रूप में प्यार करते हैं. उसकी उपलब्धियाँ सिर्फ एक हिस्सा हैं, पूरा बच्चा नहीं.
4. छोटी-छोटी कोशिशों की सराहना करें: बच्चे की मेहनत और ईमानदारी को पहचानें. छोटी-सी कोशिश भी उसकी आत्मविश्वास को बढ़ा सकती है.
5. प्रतिस्पर्धा की बजाय सहयोग सिखाएं: बच्चों को हमेशा आगे बढ़ने की होड़ में न डालें. उन्हें सहयोग और टीमवर्क का महत्व भी सिखाएं.
Peacock Parenting भले ही आकर्षक लगे, लेकिन यह बच्चों के आत्मविश्वास और भावनात्मक विकास को नुकसान पहुंचाता है. असली पेरेंटिंग वही है जिसमें बच्चों को प्यार, सहयोग और सही दिशा दी जाए, न कि उन्हें दूसरों के सामने अपनी शान का प्रतीक बनाकर पेश किया जाए. इसलिए अपने बच्चों को शोपीस बनाने की बजाय उन्हें एक संवेदनशील और आत्मनिर्भर इंसान बनने में मदद करें. यही पेरेंटिंग की असली सफलता है.
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