Madan Mohan Malaviya: मदन मोहन मालवीय के प्रमुख विचार जो आपको भी जानना चाहिए…

Pandit Madan Mohan Malviya's Birth Anniversary: 25 दिसंबर को पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती मनाई जाती है. महामना के रूप में जाने जाने वाले वे एक भारतीय शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी.

By Bimla Kumari | December 24, 2022 2:09 PM

Pandit Madan Mohan Malviya’s Birth Anniversary: 25 दिसंबर को पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती मनाई जाती है. महामना के रूप में जाने जाने वाले वे एक भारतीय शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. 1861 में पैदा हुए मदन मोहन मालवीय ने पूरे देश में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने में एक अभिन्न भूमिका निभाई और बाद में 1916 में वाराणसी में बीएचयू की स्थापना की. वह भारत स्काउट्स और गाइड्स के संस्थापक सदस्य भी थे.

1909 में समाचार पत्र द लीडर की स्थापना की

1909 में मालवीय ने समाचार पत्र द लीडर की स्थापना की, जिसे अत्यधिक प्रभावशाली समाचार पत्रों में से एक माना जाता है. 1924 से 1946 तक, उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में 1936 में इसका हिंदी संस्करण हिंदुस्तान दैनिक लॉन्च किया.

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सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का पुरस्कार

भारत में शिक्षा को लेकर उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए मालवीय को मरणोपरांत 24 दिसंबर 2014 को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

मदन मोहन मालवीय की प्रमुख विचार
  • “धार्मिकता और धर्म की जीत होने दें, और सभी समुदायों और समाजों की प्रगति हो, हमारी प्यारी मातृभूमि को अपना खोया गौरव वापस मिले, और भारत के पुत्र विजयी हों.

  • “यदि आप मानव आत्मा की आंतरिक शुद्धता को स्वीकार करते हैं, तो आप या आपका धर्म किसी भी व्यक्ति के स्पर्श या संबंध से किसी भी तरह से अशुद्ध या अपवित्र नहीं हो सकता है.”

  • “मैं सभी हिंदुओं और मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों और पारसियों और अन्य सभी देशवासियों से सभी सांप्रदायिक मतभेदों को दूर करने और लोगों के सभी वर्गों के बीच राजनीतिक एकता स्थापित करने के लिए विनती करता हूं.”

  • “हम धर्म को चरित्र का पक्का आधार और मानव सुख का सच्चा स्रोत मानते हैं. हम मानते हैं कि देशभक्ति एक शक्तिशाली उत्थान प्रभाव है जो पुरुषों को उच्च विचार वाले निःस्वार्थ कार्रवाई के लिए प्रेरित करती है.

  • “निर्भयता ही स्वतंत्रता का एकमात्र मार्ग है. निडर बनो और न्याय के लिए लड़ो.

  • “विनम्रता के बिना ज्ञान बेकार है.”

  • “देश तभी ताकत हासिल कर सकता है और खुद को विकसित कर सकता है जब भारत के विभिन्न समुदायों के लोग आपसी सद्भावना और सद्भाव में रहते हैं.”

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