हमारे आस पास घूम रही है Geopathic Stress जैसी नकारात्मक ऊर्जाएं, जानिए कैसे करें इससे खुद का बचाव

Geopathic Stress: जियोपैथिक स्ट्रेस उस अवस्था के लिए किया जाता है जब प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से पृथ्वी से निकलने वाली उर्जा मनुष्य के ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालती है.यानि की पृथ्वी से उत्पन्न नुकसानदायक तरंगो के मनुष्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को जियोपैथिक स्ट्रेस कहा जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2022 5:35 PM

Geopathic Stress: स्ट्रेस या मानसिक तनाव हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है. हमारी तनावग्रस्त दिनचर्या रोजमर्रा के कामों को भी प्रभावित है. इसकी वजह से (Natural ways to release stress) एंक्सायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इन दिनों जियोपैथिक स्ट्रेस का काफी नाम हो रहा है. आमतौर पर जियोपैथिक स्ट्रेस का पता दो तरह के लोग लगाना चाहते हैं. एक जो इस समस्या से पीड़ित हैं और दूसरे जो इसके बारे में जानने के लिए इच्छुक हैं.

गौरतलब है कि जर्मन शोधकर्ता बैरन गुस्ताव फ्रे हेर वॉन पोहले (Baron Gustav Frei Herr Von Pohl) ने जियोपैथिक जोन शब्द का इजात किया था. उन्होंने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जियोपैथिक स्ट्रेस जोन पर शोध जियोपैथिक स्ट्रेस और वास्तु (geopathic stress and vastu) करने में बिताया और इस नतीजे पर पहुंचे की लगभग प्रत्येक बीमारी का कुछ न कुछ सम्बन्ध जियोपैथिक स्ट्रेस से पाया जा सकता है.

जियोपैथिक स्ट्रेस पर पड़ता है क्या असर

जियोपैथिक स्ट्रेस के अंतर्गत निकलने वाली उर्जायें एक सामान्य मनुष्य के उर्जा के स्तर से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है. इसीलिए अगर आप ऐसे स्ट्रेस जोन में सोते है या ज्यादा वक्त बिताते है जो की किसी चुंबकीय ग्रिड लाइन (Magnetic Grid Line) या भूमिगत जल प्रणाली (underground water system) से उत्पन्न होने वाली तरंगो से प्रभावित है तो इसका आप पर बुरा असर पड़ सकता है.

आप जियोपैथिक स्ट्रेस के लक्षण

  • नींद की कमी

  • नींद में दांत किटकिटाना

  • सुबह उठने में तकलीफ होना

  • उठने के बाद भी शरीर में थकान बने रहना

  • घर से बाहर अन्य स्थान में सोने से तुरंत तरोताजा हो जाना

  • सही निर्णय लेने में कठिनाई

  • डरावने सपने आना

  • मानसिक समस्या का सामना करना

  • गर्भ धारण न करना

  • बार-बार गर्भपात होना या मानसिक या शारीरिक रूप से अविकसित बच्चे होना

  • बच्चों का पढ़ाई में ध्यान न देना

  • घर की दीवारों में और कांच में दरार होना

  • चींटी और दीमक की समस्या घर में हमेशा बने रहना आदि

जियोपैथिक स्ट्रेस जोन के लिए उपाय

जियोपैथिक स्ट्रेस जोन से उत्पन्न नेगेटिव एनर्जी की समस्या का समाधान विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है जैसे कि- उस एनर्जी को अवरुद्ध (block) करके, उसे अवशोषित (absorb) करके, इत्यादि.

जियोपैथिक स्ट्रेस जोन और वास्तु की भूमिका

हमने जिओपैथिक स्ट्रेस जोन के नकारात्मक प्रभाव तो देखे, लेकिन इस समस्या के प्रभावी समाधान भी उपलब्ध है. यही पर वास्तु शास्त्र की भूमिका और भी बढ़ जाती है. जैसा की आपको पहले भी बताया जा चुका है कि वास्तु शास्त्र हमारे आसपास मौजूद इस जगत की उर्जाओं को संतुलित करने, सामंजस्य बैठाने और किसी भी प्रकार के भवन के अन्दर सकारात्मक उर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करने का एक तार्किक विज्ञान है.

जियोपैथिक स्ट्रेस जोन में नेगेटिव एनर्जी का प्रवाह होता है और वास्तु का मूलभूत कार्य घर के अन्दर मौजूद नेगेटिव एनर्जी को निष्क्रिय करना और पॉजिटिव एनर्जी को बढ़ाना होता है. तो निश्चित ही किसी विशेषज्ञ के जरिये वास्तु के सिद्धांतो को घर पर लागू करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है.

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