Chanakya Niti: कब कहा कौन है आपका सच्चा मित्र? एक नहीं आचार्य चाणक्य ने बताए 4 छिपे मित्र
क्या आप जानते हैं आचार्य चाणक्य ने सच्चे मित्र की पहचान कैसे बताई थी? जानें उनके अनुसार जीवन के चार असली दोस्त कौन हैं और कब कौन बनता है आपका सच्चा साथी!
Chanakya Niti: समय परिवर्तनशील है और बलवान भी. कौन जानें कब राजा फकीर बन जाये और कब फकीर राज गद्दी पर बैठ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. आचार्य चाणक्य जिनकी नीतियां आज भी लोकप्रिय है और लोगों को जीवन जीने की एक अनोखी कलां सिखाती है. चाणक्य ने जीवन के हर पहलू पर गहन विचार व्यक्त किए हैं. उनके नीति वचनों में मित्रता का विशेष स्थान है.
चाणक्य कहते हैं कि जीवन के हर दौर में हमारा सच्चा मित्र कोई न कोई रूप में हमारे साथ होता है. लेकिन यह पहचानना कि कौन-सा मित्र किस समय हमारा सच्चा सहायक है, बहुत आवश्यक है.
Chanakya Niti: समय और परिस्थिति पर निर्भर होती है मित्रता
चाणक्य नीति श्लोक
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च॥ (चाणक्य नीति 1/16)
श्लोक का अर्थ
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन के अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग मित्र हमारे सहायक बनते हैं.
- प्रवास में विद्या मित्र होती है – जब व्यक्ति घर से दूर, विदेश या किसी अनजान स्थान पर होता है, तब उसका ज्ञान और शिक्षा ही उसका सच्चा मित्र बनती है.
- गृह में पत्नी मित्र होती है – घर में पत्नी ही वह साथी है जो हर सुख-दुख में साथ निभाती है.
- रोग में औषध मित्र होती है – जब व्यक्ति बीमार होता है, तब दवा ही उसका सच्चा मित्र होती है जो उसे जीवन देती है.
- मृत्यु के बाद धर्म मित्र होता है – जब शरीर समाप्त हो जाता है, तब केवल धर्म ही साथ जाता है. वही आत्मा का सच्चा मित्र होता है.
चाणक्य का यह श्लोक हमें सिखाता है कि सच्चा मित्र हमेशा वही होता है जो परिस्थिति अनुसार हमारा साथ देता है. हर संबंध और वस्तु की अपनी अहमियत होती है – शिक्षा हमें जीवन में आगे बढ़ाती है, पत्नी घर में सहारा देती है, दवा बीमारी में राहत देती है और धर्म मृत्यु के बाद भी साथ रहता है.
इसलिए हमें अपने मित्रों, परिवार और जीवन के मूल्यों की कद्र करनी चाहिए. सही समय पर सही मित्र की पहचान ही एक बुद्धिमान व्यक्ति की निशानी होती है.
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