Chanakya Niti: स्त्री के स्वभाव में पाए जाने वाले 7 दोष जो आपको होना चाहिए मालूम
Chanakya Niti: चाणक्य नीति के इस श्लोक में स्त्रियों के स्वभाव पर गहरी बात कही गई है, पढ़ें कौन-से 7 दोष बताए गए हैं और उनका आज के समय में क्या महत्व है.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को भारतीय इतिहास का महान शिक्षक, राजनीति के कुशल ज्ञाता, अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ माना जाता है. उनकी नीतियों को मानना आसान नहीं, लेकिन जो व्यक्ति इन्हें जीवन में अपनाता है, उसे सफलता अवश्य मिलती है. नीति शास्त्र के दूसरे अध्याय के एक श्लोक में उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि स्त्रियों के स्वभाव में कुछ दोष स्वाभाविक रूप से देखे जाते हैं.
श्लोक:
अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलोभिता
अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः
Chanakya Niti for Women: चाणक्य नीति महिलाओं के लिए
“झूठ बोलना, बिना सोचे-समझे किसी कार्य की शुरुआत कर देना, दुराशय से छल करना, मूर्खतापूर्ण कार्य करना, लोभ करना, अपवित्र रहना और निर्दयी होना – ये स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं.
अर्थ:
इस श्लोक का आशय यह है कि आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों के भीतर पाए जाने वाले कुछ ऐसे गुणों का वर्णन किया है जिन्हें उन्होंने उनकी स्वाभाविक प्रकृति माना. हालांकि यह सभी स्त्रियों पर लागू नहीं होता, बल्कि यह उनके समय और सामाजिक परिस्थितियों के आधार पर किया गया विश्लेषण है.
Chanakya Niti Quotes on Women: चाणक्य के अनुसार स्त्रियों के स्वाभाविक दोष
1. झूठ बोलना
चाणक्य के अनुसार, स्त्रियां कभी-कभी सामान्य परिस्थितियों में भी झूठ बोल सकती हैं. यह उनके स्वभाव का हिस्सा माना गया है.
2. बिना सोचे-समझे कार्य करना
स्त्रियां अक्सर भावनाओं के प्रवाह में आकर कार्य आरंभ कर देती हैं, जिससे वे जल्दबाजी में गलतियां कर सकती हैं.
3. छल-कपट करना
कभी-कभी अपने हित साधने के लिए स्त्रियां चालाकी और कपट का सहारा ले सकती हैं.
4. मूर्खतापूर्ण कार्य करना
चाणक्य के अनुसार, स्त्रियां कई बार गहराई से विचार किए बिना कार्य कर बैठती हैं, जो मूर्खता का प्रतीक है.
5. लोभ करना
आकर्षण और लालच की भावना स्त्रियों में सामान्य मानी गई है, चाहे वह धन, आभूषण या अन्य वस्तुओं के प्रति हो.
6. अपवित्र रहना
चाणक्य के समय की सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, स्त्रियों के कुछ आचरणों को अपवित्र माना जाता था.
7. निर्दयी होना
कुछ परिस्थितियों में स्त्रियां कठोर और निर्दयी भी हो सकती हैं.
चाणक्य की यह नीति उनके समय और सामाजिक दृष्टिकोण पर आधारित है. आज के बदलते समय में स्त्रियां शिक्षा, जागरूकता और आत्मनिर्भरता के साथ इन तथाकथित दोषों से ऊपर उठ चुकी हैं. फिर भी, उनके विचार समाज के मनोविज्ञान और उस दौर की सोच को समझने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता
