Chanakya Niti: शांति चाहिए तो ऐसे भाई, पत्नी, गुरु और धर्म से बना लें दूरी, वरना बर्बादी तय

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी जीवन में दिशा दिखाने का काम करती हैं. इस लेख में उनके एक प्रसिद्ध श्लोक के माध्यम से बताया गया है कि शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए किन प्रकार के धर्म, गुरु, पत्नी और रिश्तेदारों से दूरी बना लेनी चाहिए.

By Sameer Oraon | August 6, 2025 5:24 PM

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को भारतीय राजनीति, कूटनीति और जीवनशैली का महान ज्ञाता माना जाता है. उन्होंने अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को एक साधारण बालक से सम्राट बना दिया था. उनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रेरणादायक और व्यवहारिक हैं. चाणक्य नीति शास्त्र के एक प्रसिद्ध श्लोक के जरिए उन्होंने बताया है कि जीवन में किस तरह के भाई, पत्नी और गुरु से दूरी बना लेना बेहतर होता है. आइए इस श्लोक और उसकी व्याख्या को आधुनिक नजरिए से समझते हैं.

ऐसा धर्म जो दया न सिखाए, उसे त्याग दें

चाणक्य ने “त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्.
त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या नि:स्नेहान्बान्धवांस्यजेत्.” की बात कही था. इसका अर्थ है अगर कोई धर्म इंसान में दया और करुणा की भावना नहीं जगाता, तो वह सिर्फ आडंबर है. सच्चा धर्म वह है जो मनुष्य को दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाता है.

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ऐसे गुरु से सीखने से बचें जिसके पास ज्ञान न हो

अगर कोई गुरु सिर्फ बोलने में माहिर है लेकिन उसके पास देने को वास्तविक ज्ञान नहीं है, तो उससे दूरी बनाना ही उचित है. ऐसा गुरु आपके भविष्य को गुमराह कर सकता है.

क्रोध करने वाली पत्नी से जीवन में आती है अशांति

चाणक्य का मानना है कि अगर पत्नी का स्वभाव बहुत ज्यादा क्रोधपूर्ण है, तो वह घर में शांति नहीं रहने देगी. ऐसे में परिवार में कलह और तनाव बना रहता है.

जिन रिश्तों में प्रेम और अपनापन न हो, उनसे दूरी बनाएं

यदि आपके भाई-बहनों या रिश्तेदारों में आपके प्रति स्नेह और सम्मान नहीं है, तो ऐसे संबंध सिर्फ बोझ बन जाते हैं. ऐसे लोगों से दूरी बनाना ही आत्मिक शांति के लिए जरूरी है.

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